गुरूवार को जिला महिला चिकित्सालय के प्रशिक्षण कक्ष में पहले दिन नवीन गर्भ निरोधक साधन पर स्टाफ नर्स व एएनएम के अभिमुखीकरण प्रशिक्षण में जानकारी देते हुए डा. आर. के. सिंह ने बताया कि आधुनिक साधनों मे अंतरा इंजेक्शन परिवार नियोजन करने में काफी सहायक साबित हो रही है। यह एक आधुनिक एवं अस्थायी तिमाही गर्भ निरोधक साधन है। इस विधि को शुरू करने से पहले प्रशिक्षित डॉक्टर द्वारा जांच कराना अत्यंत आवश्यक है। लंबे समय तक गर्भ से बचाव के लिए इसको हर तीन महीने पर लगवाना चाहिए। उन्होंने बताया कि ऐसी महिलायें जिन्होंने पहली बार तिमाही गर्भ निरोधक अंतरा इंजेक्शन लगवाया है उन्हें निःशुल्क टोल फ्री नंबर 1800 103 3044 पर फोन करके अपना नाम पंजीकृत करवाना होता है जिससे समय-समय पर अंतरा इंजेक्शन संबंधी परामर्श की सुविधा उन्हें मिलती रहे।
महिलाओं का नाम पंजीकृत करवाने में क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता भी सहयोग करेंगी। इसके लिए आशा व लाभार्थी दोनों को 100-100 रूपये की प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी। डा. आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने स्टाफ नर्स व एएनएम को बताया कि दूध पिलाती मां प्रसव के 6 सप्ताह बाद अंतरा अपना सकती हैं। इससे दूध की मात्रा और गुणवत्ता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। जो महिलाएं गर्भ निरोधक गोली नहीं खा सकतीं वे इसका इस्तेमाल कर सकतीं हैं। इससे संबंध बनाने में किसी प्रकार की समस्या नहीं होगी और कुछ मामलों में ये माहवारी के दौरान होने वाली ऐठन को भी कम करता है। न्यू कंट्रासेप्टिव पिल्स यानी गर्भनिरोधक गोलियां भी महिलाओं द्वारा अपनाया जाने वाले एक अस्थाई विकल्प है। प्रदेश सरकार द्वारा स्वास्थ्य विभाग को छाया नामक साप्ताहिक गर्भनिरोधक गोलियां उपलब्ध कराई हैं। छाया गर्भनिरोधक गोलियां का सेवन तीन माह तक सप्ताह में दो बार तथा उसके बाद केवल सप्ताह में एक बार ही खाना होगा। वे दंपत्ति जिनका परिवार अभी पूरा नहीं हुआ है, लेकिन अभी बच्चे नहीं चाहते हैं या दो बच्चों मे अंतर रखना चाहते हैं। अनचाहे गर्भधारण से बचने के लिए व प्रसव पश्चात, बच्चे को दूध पिलाने वाली माताएँ 6 सप्ताह बाद अंतरा या छाया का उपयोग कर सकती हैं। प्रशिक्षण के दौरान गीता देवी, सारिका सिंह, महेश्वरी त्रिपाठी, सुधा तिवारी, अमरावती देवी, सुमन कनौजिया, कंचन देवी, प्रीति सिंह, पूनम शुक्ला, दुर्गेश नंदिनी आदि एएनएम व स्टाफ नर्स मौजूद रहीं।