तिलक मष्तिष्क पर दोनों भौहों के बीच में लगाया जाता है क्योंकी तिलक में चंदन, रोली,सफेद चंदन का उपयोग किया जाता है। जब राजा महाराजा युद्ध के लिए जाते थे तो उनके माथे पर तिलक लगाया जाता था और उसके साथ चावल लगाया जाता था। तिलक को वजय, साहस और सम्मान का प्रतीक माना जाता है।
रक्षाबंधन सावन पूर्णिमा के दिन पड़ता है जिस कारण चावल का अधिक महत्व होता है। पुर्णिमा के दिन चंद्रमा का बल अधिक माना जाता है। तिलक के ऊपर चावल लगाना एक रिवाज होता है क्योंकि तिलक और चावल लगाने से मष्तिष्क शांत रहता है।माना जाता है कि ललाट पर नियमित रूप से तिलक लगाने से मस्तिष्क शांति रहता है और सुकून का अनुभव करता है। साथ ही कई मानसिक बीमारियां भी इससे ठीक हो सकती है।
माथे पर तिलक लगाने से दिमाग में सेराटोनिन और बीटा एंडोर्फिन का स्राव संतुलित तरीके से होता है, जिससे उदासी दूर होने में मदद मिलती है।साथ ही सिरदर्द की समस्या में कमी आती है।
एक धार्मिक मान्यता ये भी है कि चंदन का तिलक लगाने से मनुष्य के पापों का नाश होता है। लोग कई तरह के संकट से बच जाते हैं और ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, तिलक लगाने से ग्रहों की शांति होती है।
माना जाता है कि चंदन का तिलक लगाने वाले का घर अन्न-धन से भरा रहता है और सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है।
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