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CG News: ऐसे होगी प्रक्रिया
छत्तीसगढ़ में एक अप्रैल 2019 के पूर्व पंजीकृत हर वाहनों में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट लगाया जाना अनिवार्य है। हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट लगे होने पर ही फिटनेस प्रमाण-पत्र दिया जाएगा। लोग दुकानों में जाकर केवल अपने नेम प्लेट ही बदलवा रहे हैं, लेकिन नीचे लिखा यूनिक कोड नहीं जनरेट करा रहे हैं। इसी कोड से वाहन के पूरे डिटेल दिखेंगे। परिवहन विभाग ने लोगों को 19 मार्च तक का समय दिया है, लेकिन केवल दुकानों में ही जाकर नंबर प्लेट बदलवा रहे हैं। जबकि, ऑनलाइन हाई सिक्योरिटी कोर्ड संया भी जेनरेट करना है। मिली जानकारी के अनुसार दोपहिया वाहन के लिए 362 रुपए, तीन पहिया वाहन के लिए 427, चार पहिया वाहन के लिए 656 और भारी वाहन के लिए 705 रुपए लग रहे हैं। बेस प्राइस के अलावा जीएसटी का भी भुगतान करना होगा।
वाहन मालिक अनजान
नंबर प्लेट बदलने की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन होगी। हालांकि, यह कार्य लोग खुद अपने मोबाइल पर और च्वाइस सेंटर या परिवहन सुविधा केंद्र के माध्यम से भी करा सकते हैं। 2019 के पहले के जिले में कितने वाहन हैं, विभाग इसका डाटा खंगाल रहा है। परिवहन अधिकारी आरके ध्रुव ने बताया कि 19 मार्च तक हाईसिक्योरिटी नंबर लगाना अनिवार्य है। हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने के लिए वाहन के मालिक को पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इस पोर्टल के माध्यम में रजिस्ट्रेशन और वाहन मालिक का मोबाइल नंबर दर्ज होगा। चेसिस नंबर और शुल्क का भुगतान करना होगा। इसके बाद संबंधित कंपनी नंबर प्लेट लगाने के लिए समय तय करेगी। इसके लिए भी टाइम स्लॉट प्रदान किया जाएगा।
फैंसी नंबर का चलन
मृतकों के नाम के वाहन भी दौड़ रहे हैं। जिसे लोगों ने अपडेट नहीं कराया है। जिस नाम से वाहन खरीदा गया था, उसी के नाम से वाहन चल रहा है। परिवहन विभाग भी इस पर ध्यान नहीं देता है। ऐसे वाहन जो पुराने हो चुके हैं, जिसका उपयोग नहीं हो रहा है। जिसको कबाड़ में तब्दील किया जा चुका है, ऐसे नंबर भी रिकार्ड में हैं। जिसे लोग हटाने ध्यान नहीं देते हैं। ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में फैंसी नंबर का चलन ज्यादा है। जैसे 0214 राम, बॉस 8055 शब्द अंकित कर दिए जाते हैं। 2115 भाई, 6129 को दारू बना दिया जाता है। 2151 राज जैसे फैसी नंबर बन जाते हैं। जिस पर विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। इससे लोगों को वाहन की संया पहचानने में दिक्कत होती है।
दोपहिया वाहन के साथ-साथ कारों में भी इन नंबर का उपयोग किया जा रहा है। लोग ऐसे नंबर को बड़ी कीमत देकर खरीदते हैं। इस पर न परिवहन विभाग और न ही ट्रैफिक द्वारा कार्रवाई की जाती है। कई बार संबंधित वाहन से अनहोनी होने पर फैंशी नंबर होने के कारण गाड़ी की पहचान भी नहीं हो पाती है। इस वजह से गाड़ी मालिक तक पुलिस नहीं पहुंच पाती है।