डिप्लोमा के बाद नौकरी नहीं मिलने से प्रवेश के लिए साल दर साल छात्रों की संख्या घटती जा रही है। 2016 में जहां 5,31,132 छात्रों ने आवेदन किया। वहीं इस बार युवाओं की संख्या में आई कमी ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। इस बार यह आंकड़ा महज 2,67,139 तक सीमित रहा।
यह भी पढ़े – ऑनलाइन खतरों के बीच सबसे ज्यादा कम उम्र के भारतीय बच्चे, रिपोर्ट कर देगी हैरान, जरूर पढ़े माता-पिता 30-40 फीसदी नहीं देते परीक्षा प्राविधिक शिक्षा विभाग का पॉलीटेक्निक चलो अभियान फेल हो गया। पिछले साल संस्थानों में 54170 सीटें खाली रह गई थीं। इस बार भी सीटें खाली रहना लगभग तय माना जा रहा है। क्योंकि हर बार आवेदन करने वाले छात्रों में 30 से 40 फीसदी परीक्षा नहीं देते हैं,जबकि कई फेल हो जाते हैं।
तीन बार तिथि बढ़ने के बाद खाली सीटें प्रवेश परीक्षा को फरवरी से आवेदन मांगे गए थे। कम आवेदन आने से परिषद ने अंतिम तिथि तीन बार बढ़ाई। फिर भी आवेदनों की संख्या में खास इजाफा नहीं हुआ। परिषद के सचिव राम रतन के मुताबिक अब तक 221956 पुरुष, 45183 महिला अभ्यर्थी सहित 267139 युवाओं ने अपनी फीस जमा की है।
यह भी पढ़े – अब 80 रुपए लीटर दूध तो पनीर और दही की भी बढ़ी कीमतें, भूसा-चूनी-चोकर की महंगाई ने तोड़ा 25 साल का रिकॉर्ड फार्मेसी बन रही पहली पसंद सिविल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी और कंप्यूटर साइंस जैसी ग्रुप ए की ट्रेड और फार्मेसी युवाओं की पहली पसंद रहीं हैं। इस बार भी ग्रुप ए के लिए 1.64 लाख और फार्मेसी में 65312 युवाओं ने आवेदन किया है। जबकि प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी,फैशन डिजाइनिंग,सेफ्टी इंजीनियरिंग में से किसी भी ट्रेड में प्रदेशभर से 200 आवेदन भी नहीं आए।
एक नजर प्रदेश के आंकड़ो पर 2016 – 5,31,132 2017 – 4,52,334 2018 – 4,50,021 2019 – 4,36,715 2020 – 3,90,894 2021 – 3,02,066 2022 – 2,67,139