लखनऊ

Lok Sabha Elections 2024: ‘अपने’ ही बने BJP की राह में रोड़ा, तीसरे चरण में दांव पर लगी सीएम योगी के 7 मंत्रियों की प्रतिष्ठा

Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के तीसरे चरण में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के सात मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। ऐसे में ये चुनाव इन मंत्रियों की योगी सरकार में प्रतिष्ठा और जनविश्वास की कसौटी भी परखेंगे।

लखनऊMay 02, 2024 / 05:58 pm

Vishnu Bajpai

UP Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के तीसरे चरण में भाजपा का फोकस उन सीटों पर ज्यादा है। जहां योगी सरकार और केंद्र सरकार के मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। तीसरे चरण में सात मई को यूपी की आगरा, फतेहपुर सीकरी, फिरोजाबाद, मैनपुरी, एटा, बदायूं, आंवला, बरेली, हाथरस और संभल में मतदान होना है। इन सीटों से कई विधायक योगी सरकार में मंत्री हैं। जबकि आगरा लोकसभा सीट से प्रो. एसपी सिंह बघेल केंद्र सरकार में राज्यमंत्री हैं। इसके साथ ही योगी सरकार के तीन मंत्री भी आगरा के रहने वाले हैं। बड़ी बात ये है कि आगरा जिले की फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट पर भाजपा दो फाड़ है।

आगरा में अपने ही बन गए भाजपा की राह में रोड़ा

यहां निवर्तमान सांसद और भाजपा प्रत्याशी राजकुमार चाहर के विरोध में भाजपा के ही विधायक चौधरी बाबूलाल खड़े हैं। उन्होंने राजकुमार चाहर के विरोध में अपने बेटे रामेश्वर चौधरी को निर्दलीय चुनाव मैदान में उतार भी दिया है। माना जा रहा है कि विधायक चौधरी बाबूलाल फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट पर भाजपा की राह का रोड़ा बन सकते हैं। इसी को देखते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह लगातार पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक कर आपसी सामंजस्य बनाने के प्रयास में जुट गए हैं। इसको लेकर गुरुवार दो मई को अमित शाह लखनऊ के पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। इसमें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह और संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह मौजूद रहेंगे।
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आगरा और फतेहपुरी सीकरी लोकसभा सीट पर फंसी तीन मंत्रियों की प्रतिष्ठा

आगरा की फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट पर भाजपा दो फाड़ है। यहां निवर्तमान सांसद राजकुमार चाहर बीजेपी से चुनावी मैदान में हैं। इसके अलावा बसपा ने यहां ब्राह्मण प्रत्याशी रामनिवास शर्मा पर दांव लगाया है। मायावती ने इस सीट पर चौथी बार ब्राह्मण प्रत्याशी उतारा है। जबकि कांग्रेस ने यहां रामनाथ सिकरवार पर दांव लगाया है। रामनाथ सिकरवार ने विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा को खेरागढ़ सीट पर कड़ी टक्कर दी थी।
फतेहुपुर सीकरी लोकसभा सीट पर आगरा ग्रामीण सीट से विधायक और योगी सरकार में मंत्री बेबी रानी मौर्य की प्रतिष्ठा जुड़ी है। इसके अलावा आगरा दक्षिणी सीट से विधायक और यूपी सरकार में मंत्री योगेंद्र उपाध्याय और आंवला सीट से विधायक और मंत्री धर्मवीर प्रजापति भी आगरा के रहने वाले हैं। ऐसे में आगरा और फतेहपुर सीकरी लाेकसभा सीट पर भाजपा का इस बार तगड़ा इम्तिहान है।

मैनपुरी में योगी के मंत्री जयवीर सिंह की डिंपल यादव से सीधी टक्कर

उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट सपा का गढ़ मानी जाती है। यहां से डिंपल यादव मौजूदा सांसद हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा ने यहां योगी सरकार में मंत्री जयवीर सिंह पर दांव लगाया है। यहां बसपा ने शिव प्रसाद यादव को टिकट देकर चुनावी लड़ाई को त्रिकोणीय बना दिया है। माना जा रहा है कि बसपा प्रत्याशी शिव प्रसाद यादव सपा के वोटबैंक में सेंधमारी कर सकते हैं। ऐसे में इसका फायदा भाजपा उठा सकती है।
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मैनपुरी के बेवर थानाक्षेत्र के गांव गग्गरपुर निवासी गौरव याव बताते हैं “मैनपुरी मुलायम सिंह यादव का गढ़ है। यहां उनकी बहू और पूर्व सीएम अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव चुनाव मैदान में हैं। यहां चुनाव एकतरफा होगा। मैनपुरी में डिंपल यादव की जीत पक्की है। भाभी जी (डिंपल यादव) के अलावा कोई भी जनता के मुद्दों पर बात नहीं कर रहा है। इसके अलावा यहां हमेशा जातिगत और क्षेत्रीय आधार पर मतदान होता है।” हालांकि बसपा ने यादव प्रत्याशी उतारकर सपा के वोटबैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है। हालांकि इसका फायदा भाजपा को कितना मिलेगा, यह तो चुनाव परिणाम ही बताएगा।

हाथरस में ये है भाजपा और सपा-बसपा प्रत्याशियों के वोटों का गणित

हाथरस लोकसभा सीट से योगी सरकार में मंत्री अनूप वाल्मीकि चुनावी मैदान में हैं। सपा से जसवीर वाल्मीकि और बसपा से हेमबाबू धनगर प्रत्याशी हैं। हाथरस के लिए तीनों प्रत्याशी ही बाहरी हैं। भाजपा के अनूप प्रधान वाल्मीकि अलीगढ़ की खैर सुरक्षित सीट से विधायक और प्रदेश सरकार में राजस्व राज्यमंत्री हैं। उन्हें सजातीय वाल्मीकि वोटों के साथ ही ओबीसी और सवर्ण वोटों का साथ मिलने की पूरी उम्मीद है। पिछले चुनावों में भी यही वोट बैंक भाजपा की जीत का आधार बनता रहा है। सपा-कांग्रेस के प्रत्याशी जसबीर सिंह वाल्मीकि मूल रूप से सहारनपुर के रहने वाले हैं। वे विधानसभा चुनाव में भी टिकट चाहते थे मगर उन्हें नहीं मिल सका था।
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अब सपा ने उन्हें मैदान में उतारा है। वे भाजपा के वाल्मीकि वोट में सेंधमारी का प्रयास कर रहे हैं। इसके अलावा उन्हें मुस्लिम और यादव वोटरों का साथ मिलने की आस है। वहीं बसपा के हेमबाबू धनगर आगरा के निवासी हैं। इस सीट पर चार लाख से अधिक दलित वोटर हैं, जिसमें करीब दो लाख 35 हजार जाटव हैं। दलितों के साथ उन्हें सजातीय धनगर वोट और मुस्लिम वोटरों का साथ मिलने की उम्मीद है। कुल मिलाकर यहां भी मुकाबला त्रिकोणीय होने की उम्मीद है। इसके अलावा केंद्र सरकार में राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल आगरा से प्रत्याशी हैं। सपा ने यहां सुरेश चंद्र कर्दम और बसपा ने पूजा अमरोही को टिकट दिया है। यह सीट भाजपा की है, लेकिन इस बार यहां मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।

संभल लोकसभा सीट पर तगड़ी परीक्षा से गुजरेगी भाजपा

उत्तर प्रदेश की संभल लोकसभा सीट पर भी इस बार भाजपा, बसपा और सपा के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में जब राज्य में मोदी लहर थी, तब सपा उम्मीदवार शफीकुर्रहमान बर्क ने संभल सीट पर भाजपा उम्मीदवार परमेश्वर लाल सैनी को 2 लाख से अधिक वोटों से हराकर जीत हासिल की। इससे पहले 2014 में भाजपा ने पहली बार यह सीट जीती थी। हालांकि तब भाजपा उम्मीदवार सत्यपाल सैनी 5000 वोटों से के मामूली अंतर से ही जीते थे। इस बार भाजपा ने यहां परमेश्वर लाल सैनी पर दांव लगाया है। यहां योगी सरकार में राज्यमंत्री गुलाब देवी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। 18.92 लाख मतदाताओं वाले संभल लोकसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाताओं की आबादी 9 लाख है।
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इस बार सपा ने मरहूम सांसद शफीकुर्रहमान बर्क के पोते जियाउर्रहमान को प्रत्याशी बनाया है। सपा प्रत्याशी जियाउर्रहमान मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा से मौजूदा विधायक हैं। सपा को उम्मीद है कि मुस्लिम और यादव वोट तो उन्हें ही मिलेगा। जबकि बसपा ने यहां बसपा ने पूर्व विधायक सौलत अली पर दांव लगाया है। सौलत अली शेखजादा बिरादरी से आते हैं। ऐसे में सौलत भी बसपा के परंपरागत दलित वोटों के साथ ही मुस्लिम मतदाताओं पर निगाहें गड़ाए हुए हैं। भाजपा मुस्लिमों के अलावा यादव और दलित वोटरों में सेंधमारी करने में जुटी है। सेंधमारी कर भाजपा 2014 की तरह दोबारा से संभल सीट पर जीत दर्ज करना चाहती है। यहां भी इस बार मुकाबला त्रिकोणीय दिख रहा है।

बरेली और आंवला में भाजपा और सपा के बीच कांटे की टक्कर

बरेली संसदीय सीट के इतिहास पर नजर डालें तो यह सीट संतोष कुमार गंगवार के नाम से जानी जाती है। खास बात यह है कि यहां पर अब तक सपा और बसपा का खाता तक नहीं खुला है। वहीं कांग्रेस को 1984 के बाद से अगले 6 चुनाव में उसे हार का सामना करना पड़ा था। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बरेली से संतोष गंगवार ने भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज की थी। इस बार भाजपा ने उनका टिकट काटकर बरेली में छत्रपाल सिंह गंगवार को बरेली से चुनावी मैदान में उतारा है। छत्रपाल बरेली से विधायक रह चुके हैं।
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जबकि समाजवादी पार्टी से प्रवीण सिंह ऐरन को प्रत्याशी बनाया है। वहीं बसपा के आंवला और बरेली लोकसभा के दोनों प्रत्याशियों का नामांकन निरस्त हो गया है। इसकी वजह से अब बसपा इन दोनों सीटों पर चुनाव नहीं लड़ पाएगी। आंवला में भारतीय जनता पार्टी के धर्मेंद्र कश्यप और समाजवादी पार्टी के नीरज मौर्य चुनावी मैदान में हैं। इस बार यहां योगी सरकार में मंत्री डॉ. अरुण सक्सेना और धर्मवीर प्रजापति की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। डॉ. अरुण सक्सेना बरेली से विधायक हैं। जबकि धर्मवीर प्रजापति आंवला से भाजपा विधायक हैं।

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