हिंदी भाषा में पुस्तकें सिर्फ MBBS छात्रों तक सीमित इस पर बात करते हुए यूपी के चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक श्रुति सिंह ने बताया कि प्रदेश सरकार ने करीब एक महीने पहले ही पैनल का गठन किया था। उन्होंने बताया कि एमबीबीएस की हिंदी पाठ्यक्रम में पुस्तकों को सबसे मेरठ में स्थित एक सरकारी मेडिकल कॉलेज द्वारा अपनाने की उम्मीद की जा रही है। हालांकि अभी पुस्तकों के लॉन्च की तारीख सत्र और अन्य तौर-तरीकों को अभी चाक-चौबंद किया जाना है। उन्होंने बताया कि फिलहाल तो हिंदी भाषा में पाठ्य पुस्तकों को सिर्फ और सिर्फ एमबीबीएस के छात्रों तक ही सीमित रखा जाएगा। इसके लिए भी सरकार तैयारी कर रही है।
यह भी पढ़े – CM योगी का अहम फैसला, अब हिंदी में पढ़ाई कर इंजीनियर और डॉक्टर बनेंगे छात्र छात्रों को अपनी भाषा में समझने में मिलेगी मदद चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक ने आगे बताया कि सरकार ने MBBS की पढ़ाई के लिए हिंदी भाषा में पुस्तकें उपलब्ध कराने का फैसला छात्रों के लिए विकल्प रखने के मकसद से लिया है। सरकार के इस कदम से विशेष रूप से हिंदी-माध्यम पृष्ठभूमि वाले छात्रों को अपनी भाषा में अवधारणाओं और प्रक्रियाओं को आसानी से समझने में मदद मिलेगी। वहीं चिकित्सा शिक्षा के अतिरिक्त निदेशक एनसी प्रजापति ने कहा कि पैनल चिकित्सा शब्दावली का अनुवाद और पाठ्यपुस्तकें हटाने की कोशिश नहीं कर रहा है। संपूर्ण पाठ का अनुवाद करना संभव नहीं है। इसके अलावा, यह चीजों को छात्रों के लिए जटिल बना देगा।
यह भी पढ़े – ग्रेजुएट के लिए मौका: UPSSSC ने फॉरेस्ट गार्ड के 701 पदों पर निकाली भर्तियां, ऐसे करें अप्लाई राजकीय कॉलेजों से की जाएगी इसकी शुरुआत गौरतलब है कि हिंदी भाषा में मेडिकल और इंजीनियर की पढ़ाई कराने वाला पहला राज्य मध्य प्रदेश बना है। जिसके तहत तीन पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद कराया गया है, जिसका विमोचन रविवार को गृह मंत्री अमित शाह ने भोपाल में किया। मालूम हो कि देशभर में अभी तक किसी भी मेडिकल कॉलेज में मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में नहीं कराई जाती है। लेकिन अब इसी लिस्ट में दूसरा नाम उत्तर प्रदेश का भी शामिल हो गया है। हालांकि कोशिश की जा रही है कि एमबीबीएस के लिए अब हिंदी में किताबें लाई जाएं। इनकी शुरुआत राजकीय कॉलेजों से की जाएगी। प्रदेश सरकार जल्द इस पर मुहर लगाएगी।