प्रदेश के 1571 गांव बाढ़ से प्रभावित
मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि बाढ़ से अब तक कुल 20 जनपदों की 69 तहसीलों के 1571 गांव तथा बरेली, पीलीभीत और शाहजहांपुर के शहरी क्षेत्र प्रभावित हुए हैं। इसके कारण अब तक कुल 14.80 लाख नागरिक प्रभावित हुए हैं। इनमें से 5.29 लाख व्यक्ति ऐसे हैं, जिनकी सम्पत्तियों (कृषि, मकान, गृहस्थी का सामान एवं पशु) को क्षति पहुंची है। जल भराव के कारण प्राथमिक रूप से 3.19 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल प्रभावित हुआ है। सेटेलाइट से प्राप्त जलभराव डाटा के आधार पर स्थलीय टीमें बनाकर कृषि क्षति का सर्वेक्षण/पुष्टि करायी जा रही है, साथ में ड्रोन सर्वे की व्यवस्था भी की जा रही है। यह भी पढ़ें
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22 जुलाई तक यूपी में तेज बारिश होने की संभावना
उन्होंने कहा कि इस वर्ष एक जून से अब तक प्रदेश में सामान्य वर्षा 220 मिमी के सापेक्ष 242.50 मिमी हुई है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार 22 जुलाई तक पूर्वी उत्तर प्रदेश में तेज वर्षा होने की संभावना है। मौसम की बदलती परिस्थितियों पर सतत नजर रखी जाए। राहत आयुक्त कार्यालय सहित सभी जिला प्रशासन 24 घंटे अलर्ट मोड में रहें।पीड़ित परिवारों को तत्काल सहायता उपलब्ध कराने का आदेश
सीएम योगी ने कहा कि कुछ दिनों में बाढ़, आकाशीय बिजली अथवा डूबने के कारण कई स्थानों पर जन-धन की हानि की दुखद सूचना मिली है। यह समय सहायता और संवेदना का है। पीड़ित परिवारों को तत्काल सहायता उपलब्ध कराई जाए। बाढ़ पीड़ितों के साथ सभी अधिकारियों एवं कार्मिकों का शिष्टाचार पूर्ण व्यवहार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बाढ़ में यदि किसी की फसल का नुकसान हुआ हो, नदी में जमीन का कटान हुआ हो और गृहस्थी का सामान बह गया हो, ऐसे सभी प्रकरणों में सहायता धनराशि 24 घंटों में उपलब्ध करा दी जाए। कृषि फसलों का सर्वे करवा लें। सहायता राशि स्थानीय जनप्रतिनिधियों के माध्यम से ही वितरित कराई जाए।
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बाढ़ की स्थिति पर सतत नजर रखने का आदेश
सीएम योगी ने कहा कि बाढ़/अतिवृष्टि की स्थिति पर सतत नजर रखी जाए। सभी नदियों के जलस्तर और तटबंधों की 24×7 मॉनिटरिंग की जाए। प्रभावित जिलों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ/पीएसी की फ्लड यूनिट तथा आपदा प्रबंधन टीमों को 24×7 एक्टिव मोड में रहें। आपदा प्रबंधन मित्र, सिविल डिफेंस के स्वयंसेवकों की आवश्यकता अनुसार सहायता ली जानी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी जिलाधिकारी, बीएसए, एबीएसए के साथ मिलकर स्थानीय शिक्षक प्रतिनिधियों से संवाद करें, उनकी समस्याओं, जिज्ञासाओं का यथोचित समाधान करें, शिक्षक प्रतिनिधियों से प्रतिवेदन प्राप्त कर मुख्यालय को प्रेषित करें। पठन- पाठन सुचारू रूप से चलता रहे, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए।