सबसे पहले बात करते हैं उपमुख्यमन्त्री पद को लेकर। कयास और संभावनाएं लगायी जा रही हैं कि केशव प्रसाद मौर्य और डॉ दिनेश शर्मा एक बार फिर से उप मुख्यमंत्री के पद पर विराजमान हो सकते हैं। इन चर्चाओं को बल उस वक्त मिला जब गुरुवार को विधायक दल की बैठक के मंच पर इन दोनों लोगों को स्थान दिया गया। वहीं सरकार बनाने का प्रस्ताव देने के लिए राजभवन गए प्रतिनिधिमंडल में भी भी यह दोनों दिग्गज शामिल रहे।
हालांकि उप मुख्यमंत्री पद को लेकर इस बार जिन नामों की चर्चा सबसे ज्यादा थी उनमें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह और उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल और आगरा ग्रामीण से विधायक बेबीरानी मौर्य का नाम था। एक पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखता है तो दूसरी दलित वर्ग से हैं साथ ही महिला भी हैं। इसके चलते ये क़यास लगाये जा रहे थे कि 2024 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रख इन दोनों वर्गों के वोटबैंक को पार्टी के साथ जोड़े रखने के लिए इन्हें उपमुख्यमन्त्री बनाया जा सकता है।
मंत्रिमण्डल के संभावित चेहरे मंत्रिमण्डल की बात करें तो योगी के नये मंत्रिमण्डल में 2024 का सियासी गणित साधा जा सकता है। जिसके चलते जातीय, सामाजिक और क्षेत्रीय समीकरण को ध्यान में रख कर पुराने दिग्गजों के साथ ही नये चेहेरों को भी जगह मिल सकती है। पुराने दिग्गजों में सतीश महाना, जयप्रताप सिंह, आशुतोष टंडन, श्रीकांत शर्मा, बृजेश पाठक, कपिल देव अग्रवाल, नंदगोपाल गुप्ता नंदी, जितिन प्रसाद आदि नाम हैं। जाटों की भी नाराज़गी दूर करने और पश्चिमी यूपी में एक बार फिर मजबूत सियासी पकड़ बनाने के लिए मंत्रिमण्डल जाट नेताओं को प्रमुखता दी जा सकती है। जिनमें भूपेंद्र चौधरी, लक्ष्मी नारायण चौधरी, मथुरा के मांट सीट से पहली बार जीते राजेश चौधरी और सुरेश राणा जैसे नाम शामिल हैं।
नये और युवा चेहरों की बात करें तो इनमें शलभमणि त्रिपाठी, पंकज सिंह, अदिति सिंह, असीम अरुण जैसे नाम शामिल हैं। वहीं मन्त्रिमण्डल में उन चेहरों को भी जगह दी जा सकती है जो विपक्षी दलों के दिग्गजों को धूल चटाकर विधानसभा पहुँचे हैं। इनमें राजेश चौधरी, केतकी सिंह, दयाशंकर सिंह का नाम सामने आ रहा है। इसके अलावा सहयोगी दलों को भी मन्त्रिमण्डल में पूरा प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। जिसके चलते अपना दल एस के कार्यकारी अध्यक्ष आशीष पटेल और निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ संजय निषाद का भी कैबिनेट मंत्री बनना तय है।