मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के पंचूर गांव में हुआ था। घर वालों ने उनका नाम अजय सिंह बिष्ठ रखा था। उनके पिता आनन्द सिंह बिष्ट फॉरेस्ट रेंजर थे और माता सावित्री देवी गृहिणी हैं। योगी आदित्यनाथ अपने भाई-बहनों में पांचवें नंबर के हैं। उनकी तीन बड़ी बहनें, एक बड़ा भाई और एक छोटा भाई है। योगी आदित्यनाथ स्कूल के दिनों से ही विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते थे। शायद यही वजह थी कि हिंदुत्व के प्रति उनका लगाव शुरू से रहा।
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अवेद्यनाथ से मुलाकात1990 के दौर में लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में राम मंदिर आंदोलन अपने उत्कर्ष पर था। अजय सिंह बिष्ट ने भी इस आंदोलन में हिस्सा लिया। इसी से संबंधित एक कार्यक्रम में तत्कालीन गोरक्ष पीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया था। उस कार्यक्रम में देशभर से आए कई छात्रों ने अपनी बात रखी। जब योगी आदित्यनाथ ने अपनी बात रखनी शुरू की तो लोगों ने खूब सराहना की। उनका भाषण सुन अवेद्यनाथ महराज बहुत प्रभावित हुए। महराज ने उन्हें अपने पास बुलाया और पूछा, कहां से आए हो? तब उन्होंने बताया कि वह उत्तराखंड के पौड़ी के पंचूर से हैं। इस पर महराज ने कहा कि कभी मौका मिले तो मिलने जरूर आओ।
दरअसल, अवेद्यनाथ महराज भी उत्तराखंड के रहने वाले थे। उनका गांव भी योगी आदित्यनाथ के गांव से 10 किलोमीटर दूर था। उस पहली मुलाकात से योगी आदित्यनाथ बहुत प्रभावित हुए। उनसे मिलने का वादा कर वह वहां से चल दिए। उस मुलाकात के बाद योगी अवेद्यनाथ महराज से मिलने के लिए गोरखपुर आए. कुछ दिन बाद वह फिर अपने गांव लौट गए। वहां जाकर उन्होंने ऋषिकेश में ललित मोहन शर्मा कॉलेज के एमएससी में दाखिला ले लिया, लेकिन उनका मन गोरखपुर स्थित गुरु गोरखनाथ की तपस्थली की तरफ हमेशा घूमता रहता था।
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इसी बीच अवेद्यनाथ महराज बीमार पड़ गए। योगी उनसे मिलने पहुंचे। तब अवेद्यनाथ जी महराज ने उनसे कहा कि हम रामजन्म भूमि पर मंदिर के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। मैं इस हाल में हूं यदि मुझे कुछ हो गया तो मेरे मंदिर को देखने वाला कोई नहीं होगा। तब योगी आदित्यनाथ ने उनसे कहा कि आप चिंता न करें आप को कुछ नहीं होगा। मैं गोरखपुर जल्द आऊंगा।1993 में एक दिन नौकरी का बहाना देकर अजय घर छोड़कर गोरखपुर आ गए। एक साल तक उनके घर वालों को कुछ पता नहीं था कि उनका बेटा कहां है? कहते हैं कि इस दौरान योगी ने अपने पिता को कई बार पत्र लिखा, लेकिन उन्हें उनके पते पर कभी नहीं भेजा।
1994 में गोरखनाथ मंदिर के महंत अवेद्यनाथ से दीक्षा लेकर वह योगी बन गए। तब उनकी उम्र महज 22 साल थी। 1998 में महंत अवेद्यनाथ ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। तब उनकी उम्र 26 साल थी। इसी साल लोकसभा प्रत्याशी के रूप में उन्होंने चुनाव लड़ा और सबसे कम उम्र में सांसद बन कर संसद भवन पहुंचे। 1998 से लेकर मार्च 2017 तक योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से सांसद रहे और हर बार उनकी जीत का आंकड़ा बढ़ता ही गया। 2017 में उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके बाद उन्होंने 2022 में दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।