लखनऊ

YearEnder 2020 : राजनीतिक गलियारों में छाये रहे 10 मुद्दे, इस वर्ष भी इन्हीं पर होगा फोकस

YearEnder 2020- कानून-व्यवस्था, किसान, बेरोजगारी, कोरोना महामारी और विकास जैसे मुद्दों पर विपक्ष ने सरकार को घेरा, माना जा रहा है कि वर्ष 2021 में भी यही मुद्दे राजनीतिक गलियारों की तपिश बढ़ाते रहेंगे

लखनऊDec 23, 2020 / 03:59 pm

Hariom Dwivedi

वर्ष 2020 में सरकार की सबसे अधिक फजीहत कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर हुई। सड़क से संसद तक विपक्षी दलों ने सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. YearEnder 2020. उत्तर प्रदेश जितना बड़ा राज्य है, मुद्दे भी उतने ही अधिक हैं। हर क्षेत्र की अपनी अलग-अलग समस्याएं यानी अलग-अलग मुद्दे हैं। उंगलियों पर गिनें तो यह संख्या सैकड़ों में पहुंच जाएगी। लेकिन, आज हम बात करेंगे साल 2020 के सिर्फ 10 मुद्दों की जो सियासी गलियारों में छाये रहे। और वर्ष 2021 में कमोबेश यही मुद्दे राजनीतिक तपिश बढ़ाते रहेंगे। बीते वर्ष कानून-व्यवस्था, किसान, कोरोना, बेरोजगारी, महिला सुरक्षा, शिक्षा और विकास जैसे मुद्दों पर विपक्ष ने लगातार सरकार को घेरा, जवाब में सरकार की ओर से कड़ा जवाब दिया जाता रहा।
1. कानून-व्यवस्था
वर्ष 2020 में सरकार की सबसे अधिक फजीहत कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर हुई। सड़क से संसद तक विपक्षी दलों ने सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कानपुर का बिकरू कांड, हाथरस कांड, कानपुर, गोंडा, गोरखपुर और इटावा का किडनैपिंग केस, गाजियाबाद के पत्रकार विक्रम जोशी हत्याकांड और आगरा की एमबीबीएस छात्रा सुदीक्षा भाटी हत्याकांड के अलावा महिलाओं व बच्चियों से जुड़े अपराधों के कई मामले राजनीतिक गलियारों में छाये रहे।
2. किसान
वर्ष 2020 की शुरुआत आखिर तक किसानों का मुद्दा छाया रहा है। गन्ना किसान, एमएसपी, किसान ऋणमाफी, बिजली-पानी जैसे मुद्दों पर विपक्षी दलों ने सरकार को घेरा तो सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का दावा करते हुए विपक्ष के सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। साल के आखिरी महीने यानी दिसम्बर में नये कृषि कानूनों को लेकर विपक्षी दलों ने खूब हंगामा किया वहीं, विपक्ष के मंसूबों पर पानी फेरने के लिए बीजेपी ने गांव-गांव किसान सम्मेलन आयोजित किया। मंच से मुख्यमंत्री व मंत्रियों ने नये कृषि कानूनों को किसान हितैषी बनाते हुए विपक्ष पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया।
3. रोजगार
वर्ष 2020 में रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा रहा। विपक्षी दलों के आरोपों को खारिज करते हुए सरकार ने लाखों बेरोजगारों को रोजगार देने की बात कही। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी सरकार के कार्यकाल में चार लाख से ज्‍यादा लोगों को सरकारी नौकरी देने का दावा करते हुए कहा कि उनकी सरकार युवाओं को रोजगार के ज्‍यादा से ज्‍यादा मौके देने के लिये संकल्‍पबद्ध है। इसके अलावा योगी सरकार ने 50 लाख युवाओं को रोजगार देने का लक्ष्य लेकर 5 दिसम्बर से ‘मिशन रोजगार’ की शुरुआत की। हालांकि, विपक्षी दल रोजगार के सरकारी दावों को सिर्फ आंकड़ेबाजी करार दे रहे हैं।
4. कोरोना महामारी
वर्ष 2020 में कोरोना महामारी लोगों के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं रहा। अभी कोरोना का खतरा कम जरूर हुआ, लेकिन खतरा बरकरार है। कोरोना काल में दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासियों की घर वापसी, कोरोना टेस्टिंग और कोरोना कंट्रोल जैसे मुद्दों पर योगी सरकार की खूब तारीफ हुई। यहां तक कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि यूपी में कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों प्रशंसनीय हैं। हालांकि, कोरोना टेस्टिंग और इलाज आदि को लेकर विपक्षी दल सरकार पर लगातार सवाल उठाते रहे।
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5. एनकाउंटर
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार अपराध के मामले में सरकार जीरो टॉलरेंस का दावा करती रही है। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई बार इस बात को दोहरा चुके हैं कि ‘अपराधी या तो सुधर जाएं, नहीं तो ठोंक दिए जाएंगे।’ इस पर अमल भी हुआ। सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो मार्च 2017 से 9 अगस्त 2020 तक उत्तर प्रदेश में 124 अपराधी मारे गए। सरकार की ‘ठोको नीति’ पर ऐतराज जताते हुए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस जैसे विपक्षी दल सरकार को घेरते रहे हैं। विधानसभा तक में एनकाउंटर का मुद्दा जोर-शोर से उठाया गया, जिस पर सरकार की ओर से जवाब भी दिया गया।
6. महिला सुरक्षा
महिला सुरक्षा का मुद्दा पूरे वर्ष सियासी गलियारों में छाया रहा। बेटियों की हिफाजत के लिए सरकार ने एंटी रोमियो स्क्वॉयड का गठन किया। 2020 में मिशन शक्ति अभियान शुरू किया। महिला व बाल सुरक्षा संगठन का गठन हुआ। सरकार ने प्रदेश के सभी थानों में महिला हेल्प डेस्क बनाए जाने के निर्देश दिये। कई शहरों में अलग-अलग चौराहों पर महिलाओं के लिए पिंक बूथ बनाये। महिलाओं को रात में घर तक पहुंचाने की व्‍यवस्‍था भी की। इतना ही नहीं, अलग-अलग समय पर महिलाओं व बच्चियों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाये गये। लेकिन, आधी आबादी से हैवानियत की घटनाएं प्रदेश को शर्मसार करती रहीं। महिला अपराधों को लेकर विपक्ष दलों ने योगी सरकार को आड़े हाथों लिया।
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7. भ्रष्टाचार
वर्ष 2020 में भ्रष्टाचार के कई मामले सुर्खियों में रहे। उत्तर प्रदेश गृह विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2020 में 31 जुलाई तक यूपी में भ्रष्टाचार निवारण संगठन द्वारा रिश्वत लेते हुए 18 लोक कर्मचारियों को रंगे हाथों गिरफ्तार किया जा चुका है। इस दौरान कुल 150 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार में लिप्तता के सम्बंध में कार्यवाही की गई है, जिसमें 33 कर्मी पुलिस विभाग और 117 कर्मी अन्य विभागों के हैं। भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर विपक्षी दलों ने एक सुर से योगी आदित्यनाथ सरकार को घेरा।
8. विकास
वर्ष 2020 में प्रदेश के विकास का मुद्दा सियासी गलियारों की हलचल बढ़ाता रहा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दावा है कि पिछली सरकारों में प्रदेश के सामने जो चुनौतियां थी, उनसे प्रेरणा लेकर सरकार ने विकास के नये कीर्तिमान गढ़े। पटरी से उतर चुकी विकास की गति बढ़ी है। इसी का परिणाम है कि सूबे में निवेश का माहौल है, जिसके चलते निवेश की संभावनाएं बढ़ी हैं। यूपी आज पूरे देश में विकास के नए प्रतिमान स्थापित कर रहा है। सरकार के दावों का मखौल उड़ाते हुए विपक्षी दल इसे सिर्फ आंकड़ेबाजी करार देते हैं। उनका कहना है कि इन्वेस्टर्स समिट आदि से जनता को जुमलेबाजी में उलझाना चाहते हैं।
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9. 24 घंटे बिजली व गड्ढामुक्त सड़कें
24 घंटे बिजली देने व गड्ढामुक्त सड़कों का वादा कर योगी सरकार सत्ता में आई थी। विपक्षी दलों का दावा है कि सरकार के तीन वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक सड़कें बदहाल हैं और गांववालों को हफ्तों बिना बिजली के रहना पड़ रहा है। सपा व कांग्रेस के नेता सरकार पर झूठे वादों का आरोप लगाते हुए कहते हैं कि सरकार सिर्फ आंकड़ेबाजी कर रही है। हालांकि, राज्य सरकार का दावा है कि उसने जो एजेंडा तय किया था, उसे काफी हद तक पूरा किया है। वर्ष 2020 में 24 घंटे बिजली और गड्ढामुक्त सड़कों का मुद्दा सियासी गलियारों में छाया रहा। अगले वर्ष भी यह मुद्दा सुर्खियों रहेगा, ऐसी उम्मीद है।
10. चुनाव
वर्ष 2020 में विधानसभा उपचुनाव, एमएलसी चुनाव और राज्यसभा चुनाव सियासी गलियारों की सुर्खियां बने। हार-जीत के लिए सत्तारूढ़ दल बीजेपी के अलावा सपा-बसपा और कांग्रेस ने जमकर हाथ पैर मारे। साल 2021 में एमएलसी की 12 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं। इसके अलावा इसी वर्ष त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव भी होने हैं, जिन्हें अगले साल यानी 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है। राजनीतिक दलों का मानना है कि जिस दल की गांव में सत्ता होगी, लखनऊ में सरकार भी उसकी ही होगी। सभी दल पंचायत चुनाव की तैयारियों जुट गये हैं।
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