इस बार समाजवादी पार्टी पहली बार मुलायम सिंह के बिना आम चुनाव के मैदान में उतरेगी। पूरा दारोमदार पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर है। 2004 के आम चुनाव के बाद से ही सपा के लिए चुनाव में मुश्किलें आनी शुरू हो गयी थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी के खाते में 5 सीटें आई थीं। 1999 में सपा ने 26 सीट जीती थीं। इनमें यादव लैंड की मैनपुरी, एटा, इटावा, फिरोजाबाद, बदायूं और आजमगढ़ की सीट शामिल थी। जौनपुर भाजपा के हिस्से में आई थी। 2004 में पार्टी के 37 उम्मीदवार संसद पहुंचे। मैनपुरी, एटा इटावा, फिरोजाबाद, बदायूं, जौनपुर सीट खाते में आई। फैजाबाद से बसपा, बलिया से एसजेपी (आर) और आजमगढ़ से बसपा जीती थी।
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2009 से सपा का जनाधार खिसकने लगा। इस चुनाव में 21 सीट मिलीं। इनमें मैनपुरी, इटावा, फिरोजाबाद शामिल थीं। एटा से स्वतंत्र उम्मीदवार कल्याण सिंह जीते थे। फिरोजाबाद सीट पर अखिलेश यादव के इस्तीफा देने से उपचुनाव हुआ। इस पर कांग्रेस के राजबब्बर ने जीत दर्ज कराई। बलिया सीट सपा को मिली थी। फैजाबाद से कांग्रेस जौनपुर से बसपा, संतकबीर नगर से बसपा, आजमगढ़ से भाजपा ने जीत हासिल की। 2014 के चुनाव में (Lok Sabha Election 2014) सपा को सात सीट ही मिली। मैनपुरी से मुलायम सिंह जीते थे। उनके इस्तीफे के बाद इस सीट से सपा के तेज प्रताप दिल्ली पहुंचे। कन्नौज से सपा से डिंपल यादव, फिरोजाबाद से अक्षय यादव को जीत मिली। एटा से भाजपा के राजवीर सिंह, इटावा से भाजपा के अशोक दोहरे, आजमगढ़ से सपा से मुलायम सिंह यादव जीते थे। फैजाबाद सीट भाजपा के लल्लू सिंह, जौनपुर भाजपा के कृष्ण प्रताप सिंह, संतकबीर नगर भाजपा के शरद त्रिपाठी और बलिया सीट भाजपा के भारत सिंह को मिली थी। यह भी पढ़ें