– ये स्थल इंसान की रचनात्मक मेधा के मास्टरपीस होने चाहिए।
– किसी नष्ट हो चुकी सभ्यता की सांस्कृतिक परंपरा को यह दिखाते हों।- मानवीय मूल्यों के आदान-प्रदान, आर्किटेक्चर, टेक्नॉलजी, स्मारक कला, प्लानिंग, डिज़ाइन को दिखाते हों।
– मानव इतिहास के अहम पड़ाव के यह उदाहरण होने चाहिए।
– पृथ्वी के इतिहास, जीवन के रिकॉर्ड, लैंडफॉर्म में बदलाव का यह उदाहरण हों।
– इकोलॉजी, बायोलॉजिकल प्रक्रियाओं और बायोलॉजिकल डायवर्सिटी, तटीय या समुद्री इको सिस्टम, पेड़-पौधों और जानवरों के महत्व को भी यह दिखाती हों।
वर्ल्ड हेरिजेट सूची में किसी भी धरोहर को शामिल करने के लिए सर्वप्रथम दो संगठनों द्वारा उसका आंकलन किया जाता है। इनमें एक अंतरराष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल परिषद और दूसरा विश्व संरक्षण संघ है। इसके बाद विश्व धरोहर समिति से सिफारिश की जाती है। फिर समिति निर्णय लेती है कि किसी नामांकित संपदा को विश्व धरोहर सूची में सम्मिलित करना है या नहीं।
देश की अब तक 40 वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स हैं। इनमें 30 सांस्कृतिक, सात प्राकृतिक व एक मिश्रित स्थल है। पहली दफा सांस्कृतिक महत्व के स्थल के तौर पर 1983 में ताज महल, आगरा का किला, अजंता की गुफा व एलोरा की गुफा को यूनेस्को ने विश्व धरोहर का दर्जा दिया था। इसके बाद से फेहरिस्त बढ़ती गई। दुनिया की बात करें तो जून, 2020 तक 167 देशों में 1,121 वर्ल्ड हेरिटेज साइट हैं। इनमें भारत पांचवे स्थान पर है। सबसे आगे हैं चीन (55), फिर इटली (55)। दूसरे स्थान पर स्पेन (48) है, तीसरे पर जर्मनी (46), चौथे पर फ्रांस (45) हैं।