किताबों का ज्ञान जीवन जीने का तरीका सिखाता है और इन्हीं के माध्यम से आप अपनी बात भी लोगों के सामने बेहद आसान तरीके से रख सकते हैं। हालांकि आज के समय में ज्यादातर लोग स्मार्टफोंस और डिजिटल गैजेट्स की तरफ अपना रुझान दिख रहा है। ऐसे में हर साल 23 अप्रैल को मनाए जाने वाला विश्व पुस्तक दिवस लोगों को न केवल किताबों के महत्व के बारे में बताना है बल्कि कुछ ऐसी किताबें के बारे में बताना है जो जीवन से और ब्रह्मांड से जुड़ी हैं। कई ऐसी किताबें है, जिन्होंने लोगों के जीवन में बदल दिया।
यह भी पढ़े – जानिए एक IAS को कितनी मिलती है सैलरी, सुविधाएं जानकर चौक जाएंगे आप विश्व पुस्तक दिवस 2022 थीम गाम्बिया और वैश्विक समुदाय ने इस वर्ष के विश्व कॉपीराइट और पुस्तक दिवस की थीम ‘आर यू ए रीडर’ रखी है। प्रत्येक वर्ष, यूनेस्को और अंतर्राष्ट्रीय संगठन पुस्तक उद्योग के तीन प्रमुख क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसमें प्रकाशक, बुकसेलर, और पुस्तकालय को शामिल किया जाता है। अपनी स्वयं की पहल के माध्यम से एक साल की अवधि के लिए विश्व पुस्तक राजधानी का चयन करते हैं। इसी थीम पर जगह जगह संस्थानों में कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
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इस दिन यूनेस्को और इसके अन्य सहयोगी संगठन आगामी वर्ष के लिए ‘वर्ल्ड बुक कैपिटल’ का चयन करते हैं। इसका उद्देश्य है कि अगले एक वर्ष के लिए किताबों से संबंधित होने वाले कार्यक्रम आयोजित हों। आने वाली नई किताबों को लेकर पाठकों को जागरूक किया जा सके। उनका रुझान अधिक से अधिक किताबों की तरफ करने की कोशिश रहती है। ऐसी किताबों को प्रस्तुत किया जाता है, जो लोगों को खुद आकर्षित करती हैं।
इस दिन यूनेस्को और इसके अन्य सहयोगी संगठन आगामी वर्ष के लिए ‘वर्ल्ड बुक कैपिटल’ का चयन करते हैं। इसका उद्देश्य है कि अगले एक वर्ष के लिए किताबों से संबंधित होने वाले कार्यक्रम आयोजित हों। आने वाली नई किताबों को लेकर पाठकों को जागरूक किया जा सके। उनका रुझान अधिक से अधिक किताबों की तरफ करने की कोशिश रहती है। ऐसी किताबों को प्रस्तुत किया जाता है, जो लोगों को खुद आकर्षित करती हैं।
क्या है स्थिति किताबों के कारोबारी अनिल खेतान बताते हैं कि अब से दो साल पहले बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में ज्ञानदायक उपन्यासों की मांग रहती थी। लेकिन अब मात्र 20-25 फीसदी ही ऐसे लोग बचे जो किताबें लेते हैं। बच्चों की संख्या बहुत कम हो गई है। ऑनलाइन दुनिया लोग अधिक रुचि रखने लगे हैं।
यह भी पढ़े – छुट्टियों में घूमने के लिए ये सात जगह हैं खास, न गर्मियों का एहसास न बजट में असर जर्जर हो गए पुस्तकालय एक समय था जब पुस्तकालयों में बैठ कर पढ़ने के लाइन लगती थी। अब पुस्तकालयों के भवन जर्जर हो गए हैं। कानपुर और इटावा में हुई एक पड़ताल में पता चला कि पुस्ताकालयों में किताबें और शांति का मौहाल तो हैं लेकिन लोगों के न आने से अब जीव जंतुओं अपना आशियाना बना लिया है।