लखनऊ. केन्द्र सरकार के एक फरमान ने प्रमोटी आईएएस अधिकारियों के सामने एक संकट खडा कर दिया है। आदेश साफ है कि अगर सवा महीने की टृेनिंग नहीं की तो उनका डिमोशन पीसीएस पर कर दिया जाएगा। इस आदेश के बाद से सम्बन्धित प्रमोटी आईएएस परेशान हो गए हैं और वे यह नहीं समझ पा रहे हैं कि टृेनिंग में जाएं कि अच्छी पोस्टिंग जलवे को इनज्वाय करें। दरअसल पीसीएस से आईएएस में प्रमोट हुए तीन दर्जन अधिकारियों ने सरकार में जुगाड लगाकर अच्छी पोस्टिंग पा ली थी। मलाईदार पोस्टिंग के हर पल को वे पूरी तौर से इनज्वाय कर रहे थे कि तभी केन्द्र सरकार के एक फरमान ने उनके अमन चैन में खलल डाल दिया। अब उनके लिए यह जरूरी कर दिया गया है कि वे आईएएस के लिए सवा महीने की टृेनिंग जरूर करें अन्यथा उनका डिमोशन उनके पूर्व कैडर पीसीएस में कर दिया जाएगा। यह आदेश ऐसे मौके पर आया है जब कुछ ही महीनों बाद अधिसूचना लगने की संभावना है और उसके बाद नई सरकार में उन्हें अच्छी पोस्टिंग मिल पाएगी अथवा नहीं। सही बात तो यह है कि इंडक्शन टे्रनिंग प्रोग्राम (आईटीपी) न करने वाले सूबे के प्रमोटी आईएएस अफसरों के लिए बुरी खबर है। केन्द्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने पीसीएस से प्रमोट हुए आईएएस अफसरों के लिए सख्त दिशा.निर्देश जारी करते हुए कहा है कि अगर इंडक्शन कोर्स नहीं करने जाते हैं तो उनको वापस रिवर्ट कर दिया जाएगा। सूत्रों की मानें तो 42 जिलों की कमान संभाल रहे प्रमोटी जिलाधिकारियों व अन्य बडे पदों की कुर्सी पर संकट मंडरा रहा है। इन प्रमोटी आईएएस अफसरों को अनिवार्य रूप से इंडक्शन ट्रेनिंग (45 दिन) लेना होता है। मौजूदा समय इंडक्शन कोर्स न करने वाले 22 जिलों के जिलाधिकारी हैं। इनमें मात्र रामपुर के डीएम राकेश कुमार सिंह और देवारिया की डीएम अनीता श्रीवास्तव ने इंडक्शन कोर्स पहले ही कर लिया है। कार्मिक विभाग के सूत्रों का कहना है कि आबकारी आयुक्त भावनाथ, आवास आयुक्त आर.पी. सिंह, एलडीए वीसी सतेन्द्र कुमार सिंह, गाजियाबाद के डीएम विमल शर्मा को इंडक्शन ट्रेनिंग प्रोग्राम से छूट देने के लिए कार्मिक विभाग ने डीओपीटी को पत्र भेजा है, लेकिन अभी तक डीओपीटी ने इस पर अपनी सहमति नहीं दी है।