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लखनऊ

राजयपाल राम नाइक ने आखिर मराठियों का क्यों किया सम्मान, जानिए इस रिपोर्ट मेँ

राजभवन में चित्रकला कार्यशाला का समापन-राज्यपाल ने कलाकारों को सम्मानित किया

लखनऊJun 11, 2019 / 11:10 am

Anil Ankur

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लखनऊ. उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज राजभवन में 6 जून से चल रही पांच दिवसीय चित्रकला कार्यशाला का समापन किया। समापन समारोह में राज्यपाल ने सभी कलाकारों को अंग वस्त्र, प्रमाण पत्र, रूपये पांच-पांच हजार की धनराशि बतौर यादगार तथा अपनी पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ की प्रति देकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर राज्यपाल की पत्नी श्रीमती कुंदा नाईक, महापौर लखनऊ श्रीमती संयुक्ता भाटिया, अपर मुख्य सचिव राज्यपाल हेमन्त राव, पदम्श्री बाबा योगेन्द्र, संस्कार भारती के संगठन मंत्री गिरीश चन्द्र, ललित कला अकादमी के धर्मसिंह सहित बड़ी संख्या में कला प्रेमीजन उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि ललित कला अकादमी, राष्ट्रीय कला संस्थान, नई दिल्ली तथा संस्कार भारती उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में राजभवन उत्तर प्रदेश में 6 जून से 10 जून 2019 तक पांच दिवसीय कला कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें कलाकारों ने मुख्यतः राज्यपाल एवं राजभवन की इमारत के चित्र बनाये थे।
राज्यपाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि ‘मेरा फोटो सुंदर है पर यदि मैं और सुंदर होता तो चित्र भी ज्यादा सुंदर होता।’ सभी कलाकारों ने चित्रकारी में अपनी असीमित कल्पना शक्ति का प्रयोग करके सुंदर चित्र बनाये हैं। राज्यपाल ने कहा कि भारत की पहचान विश्व में कला से है। भारत में कला का समृद्ध इतिहास रहा है। हमारे देश में 64 कलायें विद्यमान हैं। इस गौरवशाली परम्परा को आज भी गुफाओं में देखा जा सकता है। राज्यपाल ने कहा कि 22 जुलाई 2014 को जब उन्होंने राज्यपाल के पद की शपथ ली थी तो उन्होंने राजभवन के दरवाजे सभी के लिये खोलकर उसे ‘लोकभवन’ बनाने की बात कही थी। गत 5 साल में 30 हजार से ज्यादा लोगों से उन्होंने राजभवन में भेंट की। राजभवन वास्तव में केवल राज्यपाल का ही नहीं बल्कि पूरे समाज का है। उन्होंने कहा कि राजभवन की सुंदरता चित्रों के माध्यम से और सुंदर होकर बाहर आयी है।
नाईक ने कहा कि राज्यपाल पद संभालने के बाद उन्होंने कहा था कि वे महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के बीच सेतु का काम करेंगे। दोनों प्रदेशों के बीच प्राचीन संबंध हैं। मुंबई को आर्थिक राजधानी बनाने में उत्तर भारतीयों का महत्वपूर्ण योगदान है। भगवान रामचन्द्र ने अयोध्या से वनवास प्रस्थान पर महाराष्ट्र की पंचवटी को चुना था। इसी प्रकार छत्रपति शिवाजी का राज्याभिषेक काशी के विद्धान गागा भट्ट ने किया था। 1857 में स्वतंत्रता संग्राम उत्तर प्रदेश से शुरू हुआ, पर इसमें रानी लक्ष्मीबाई, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जैसे अनेक महानुभावों ऐसे थे जिनका रिश्ता महाराष्ट्र से था। चित्रकला कार्यशाला का राजभवन में आयोजन अपने आप में महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। उन्होंने कहा कि चित्रकला कार्यशाला महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश को एक-दूसरे से और करीब लाने के प्रयास की एक कड़ी है।
राजभवन में आयोजित कला कार्यशाला के सभी 10 प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। कार्यशाला में प्रतिभाग करने वाले कलाकारों में सांगली महाराष्ट्र से मांगेश आनन्दराव पाटील, औरंगाबाद महाराष्ट्र से नानासाहेब भाउसाहेब येओले, पुणे महाराष्ट्र से उत्तम रामचंद्र साठे, लखनऊ, उत्तर प्रदेश से अमित कुमार, महाराष्ट्र से मनोज कुमार एम0 सकाले, लखनऊ उत्तर प्रदेश से भारत भूषण शर्मा, उत्तर प्रदेश से कमलेश्वर शर्मा, महाराष्ट्र से सत्यजीत वारेकर, पुणे महाराष्ट्र से श्रीमती मंजरी मोरे एवं पुणे महाराष्ट्र से सुश्री सुरभि के. गुलवेलकर थे।

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