लखनऊ

कौन था वो सनकी फकीर जिसके कहने पर बाबर ने तुड़वाया राम मंदिर

…तब के दुनिया के सबसे आलीशान, विशाल और चमत्कारिक अयोध्या के राममंदिर की पूजा-अर्चाना बाबा श्यामनंद करते थे। मीलों दूर तक ऐसी चर्चाएं थीं कि राममंदिर में चमत्कार होते हैं। तभी एक फकीर की नजर इस जगह पर पड़ी। उसने बाबा श्यामनंद के पांव पड़े, हाथ जोड़े और खुद को उनका शिष्य बना लिया। उसने धीरे-धीरे यहां के सारे मंत्र या अनुष्ठान और उनसे मिलने वाले फल जान लिए। फिर उसने मन में इस स्थान को खुर्द मक्का बनाने और सहस्त्रों नवियों का निवास सिद्ध करने की सनक सवार हुई।

लखनऊOct 03, 2023 / 08:18 am

Markandey Pandey

अयोध्या में दो फकीर है जो बड़े सिद्ध हैं। यदि बादशाह सलामत बाबर दुआ ले लें तो आगे का रास्ता आसान हो जाएगा।

ईस्वी 500 में विक्रमादित्य ने हूणों की तहसनहस की हुई अयोध्या को महादेव नागेश्वर और सरयू के सहारे ढूंढ निकाला। फिर उसने पूरी दुनिया का सबसे बेमिसाल और भव्य मंदिर का निर्माण कराया। उसने तमाम विद्वानों को बुलाया। कई मर्मज्ञों ने कई साल शोध किया। कई साक्ष्य और सबूत मिले। राम जन्म भूमि का स्‍थान ढूंढ निकाला गया। उसी जगह पर चामत्कारिक मंदिर बना।
करीबन 1000 साल यह मंदिर पूरी दुनिया में अपने चमत्कार, श्रद्धा के लिए जाना जाता रहा। इसकी ख्याति बढ़ती जा रही थी। और भारत में मुगल शासकों का उदय हो रहा था। मुगल शासक बाबर यहां आता और राममंदिर के बारे में कुछ सोचता उसके पहले राममंदिर तोड़ने की कहानी में एंट्री होती है, एक सनकी फकीर की।

IMAGE CREDIT: यदि बादशाह सलामत बाबर उनका दुआ ले लें तो आगे का रास्ता आसान हो जाएगा।

वो सनकी फकीर कौन था? कहां से आया था? राममंदिर का तोड़वा देने का खयाल उसके मन में कहां से आया? बाबर से उसकी मुलाकत कैसे हुई? ऐसे हर सवाल का जवाब इस स्टोरी में हम आपको देंगे। आइए सिलसिलेवार चलते हैं…
इस सनकी फकीर को जानने के लिए 2 और किरदारों को जानना होगा, बाबा श्यामनंद और हजरत कजल अब्बास मूसा आशिकान कलंदर शाह
यह भी पढ़ें

बाबरकाल से पहले भी तोड़ा गया था राम का भव्य मंदिर, पूरी अयोध्या कर दी थी तहस-नहस, किसने किया था ये सब?

राम मंदिर के पुजारी और सिद्ध पुरुष बाबा श्यामनंद
इतिहास की पुस्तकों में बाबा श्यामानंद की चर्चा तो आती है लेकिन उनके बारे में विस्तार से वर्णन दुर्लभ है। बहरहाल, बाबा श्यामनंद के बारे में इतना तय है कि वह अत्यंत सिद्ध संयासी थे। अष्टांग योग पर वे सिद्ध थे और बुजुर्ग होने के बाद भी राममंदिर के पुजारी के रुप में सक्रिय रहते थे।

photo_6114140848326293890_y_1.jpg
IMAGE CREDIT: बाबा श्यामानंद उसे बिना हिंदू बनाए योग शिक्षा देने लगे। बल्कि उसके नमाज और इस्लामिक पूजा पाठ का पूरा सम्मान करते थे। ओम और अल्लाह में कोई फर्क नहीं किया। उन्हीं बाबा श्यामानंद से सीखकर बड़ा सिद्ध फकीर होने का दावा करने लगा था।

बाबा श्यामनंद की जिंदगी में हजरत फजल अब्बास मूसा, आशिकान कलंदर शाह की एंट्री
फकीर फजल अब्बास कलंदर जो बाबर के आगमन से पहले मुगल आक्रमणों के दौरान ही अयोध्या आ चुका था। वह मुसलमानी फकीर था लेकिन उसके पास कोई सिद्ध क्षमता नहीं थी। सिद्धी को लेकर वह बेहद लालायित था जिससे उसकी ख्याती फैल सके। लेकिन इसके लिए क्या करे। उसने सुन रखा था कि श्रीराम जन्म भूमि के मुख्य पुजारी बाबा श्यामानंद सिद्धियों के स्वामी है और पूरे उत्तरी भारत में उनके नाम की चर्चा है।
यह भी पढ़ें

अयोध्या पर कब पड़ने लगी मुगल बादशाहों की छाया, 76 बार हुए थे हमले

वह अष्टांग योग सहित अनेक विद्याओं में पारंगत है। फजल अब्बास कलंदर पहुंच गया बाबा श्यामानंद के पास और साष्टांग लेटकर प्रणाम किया। उसकी बनावटी विनम्रता और कुटिल चाल को समझ पाने में सरल स्वभाव बाबा श्यामानंद नाकाम रहे। उन्होंने फजल अब्बास को अपना शिष्य बना लिया और उसे भी ध्यान, पूजा, योग सिखाने लगे। कुछ दिनों में यह भी सिद्ध हो गए और उसकी भी चर्चा होने लगी। इसके बाद उसने जलालशाह नाम के व्यक्ति को भी बुलाकर बाबा श्यामानंद से मिलवाया और उसे भी शिष्य बनाने का निवेदन किया। सरल स्वभाग बाबा जी ने उसे भी अपना शिष्य बनाया बाद में यह दोनों फकीर अयोध्या के विनाश का कारण बन गए।

photo_6114140848326293893_y_1.jpg

जलालशाह की जिंदगी में बाबर की एंट्री

1528 में अयोध्या के पास घाघरा और सेरवा नदी के संगम पर बाबर अपनी सेना के साथ डेरा डाला। एक युद्ध में हार कर अपनी जान बचाने के लिए कुछ सैन्य टुकड़ी और अपने वजी मीर बांकी के साथ अयोध्या के पास छिपा हुआ था। इतिहासकारों में इसे लेकर मतभेद है कहा जाता है कि वह छिपने की जगह अयोध्या के आसपास के इलाकों को कमजारे समझकर उनसे कर लेेने की योजना बना रहा था। इसी दौरान उसके किसी सैनिक ने उसे बताया कि अयोध्या में दो फकीर है जो बड़े सिद्ध हैं। यदि बादशाह सलामत बाबर उनका दुआ ले लें तो आगे का रास्ता आसान हो जाएगा।
https://youtu.be/xQ0DnFRopbk

वह आसपास के क्षेत्रों से कर लेने की योजना बना रहा था। इसी बीच अयोध्या के एक फकीर फजल अब्बास कलंदर के बारे में उसे जानकारी मिली तो तीन कोस चलकर अयोध्या उस फकीर से मिलने आया। बाबर जब अयोध्या आया तो उसके साथ उसका सेनापति मीर बांकी भी था।
बाबर ने फकीर को महंगे कपड़े, रत्न आभूषण भेंट किए लेकिन उस फकीर ने उसे लेने से मना कर दिया और शर्त रखी कि- ‘रामजन्म भूमि के मंदिर को तोडक़र नमाज पढऩे के लिए मस्जिद का निर्माण करा दो।’
बाबर ने कहा कि ‘मै आपके लिए दूसरी मस्जिद बनवा देता हूं, मंदिर तोडक़र मस्जिद बनवाना मेरे उसूल के खिलाफ है। लेकिन फकीर नहीं माना और कहा मै इस मंदिर को तुड़वाकर उसी जगह मस्जिद चाहता हूं और तुम नहीं करोगे तो तुमको बद्दुआ दूंगा…’
यह भी पढ़ें

श्रीलंका के मध्य में आज भी है रावण का महल, कार्बन डेटिंग के बाद मानने लगे वैज्ञानिक


बद्दुआ के डर से बाबर फकीर की बात मान गया और उसने अपने सेनापति मीर बांकी को मंदिर तोडऩे का आदेश दिया। मस्जिद बनवाने का एक दूसरा कारण तारीख पारीना मदीनतुल में लिखा हुआ मिलता है कि

बाबर अपनी किशोरावस्था में एकबार हिंदुस्तान आया था और अयोध्या में दो मुसलमान फकीरों से मिला था। एक वहीं था फजल अब्बास कलंदर जबकि दूसरा था मूसा आशिकान। बाबर ने दोनों से दुआ मांगी कि आप खुदा से दुआ करीए कि मै हिंदुस्थान का बादशाह बन जाऊं। फकीरों ने आदेश दिया कि अगर तुम हिंदुओं के आराध्य देवता श्रीराम की जन्म भूमि पर स्थित मंदिर को तोडक़र मस्जिद बनाने का वादा करों तो हम तुम्हारे बादशाह बनने के लिए दुआ करेंगे। बाबर ने फकीरों की बात मान ली और अपने देश लौट गया।

Hindi News / Lucknow / कौन था वो सनकी फकीर जिसके कहने पर बाबर ने तुड़वाया राम मंदिर

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.