बता दें, नील मोहन ने स्टैनफर्ड से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। वो पहले गूगल में बतौर चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर काम कर चुके हैं। नील एक फेमस टेक्नोलॉजी एक्सक्यूटिव भी हैं। साल 2013 में वह 100 मिलियन डॉलर यानी 544 करोड़ रुपए के अपने रिटेंशन बोनस के लिए सुर्खियां बटोर चुके हैं।
साल 2007 में नील मोहन वाइस प्रेसिडेंट ऑफ प्रोडक्ट एंड एडवरटाइजिंग स्ट्रेटेजी के रूप में गूगल से जुड़े। जहां उन्होंने गूगल के कुछ सबसे महत्वपूर्ण विज्ञापन प्रोडक्ट्स -एडवर्ड्स, डबल क्लिक और गूगल एनालिटिक्स के विकास में भूमिका निभाई। नील ने 2015 में उन्होंने गूगल को छोड़ दिया।
नील मोहन जब गूगल में काम कर रहे थे, तब उन्हें ट्विटर की ओर से बड़ा ऑफर मिला था। गूगल को जब इस बात की जानकारी मिली तो उसने नील को अपना एम्प्लॉय बनाए रखने के लिए सैलेरी में बढ़ोतरी की थी। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नील दूसरे ऐसे व्यक्ति हैं जिसे गूगल ने सबसे ज्यादा सैलेरी दी थी।
यूट्यूब ने अभी तक नील मोहन की सैलरी ऑफिशियल नहीं की है। हालांकि, वोजसिकी की महीने की सैलरी के आधार पर बिजनेस पोर्टलों ने बताया है कि नील को हर महीने कम से कम 374,829 डॉलर यानी लगभग 3.1 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है। उनके बोनस के अलावा उनकी रोज की आय लगभग 10 लाख रुपए होगी।
नील का जन्म लखनऊ में साल 1975 में एक तमिल हिंदू परिवार में हुआ था। उनका पालन-पोषण लखनऊ के रिवर बैंक कॉलोनी में हुआ है। हालांकि, उन्होंने अपना बचपन मिशिगन में बिताया है। जब उनके माता-पिता, डॉ. आदित्य मोहन और डॉ. दीपा मोहन अमेरिका चले गए थे।
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7वीं से 12वीं तक लखनऊ में की पढ़ाईसाल 1986 में नील का परिवार भारत लौट आया। इसके बाद नील ने सेंट फ्रांसिस कॉलेज में एडमिशन लिया। वहां उन्होंने 7वीं से 12वीं तक पढ़ाई की। ग्रेजुएशन करने के लिए वो टेक्सास चले गए। जहां उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया। उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से मास्टर और एमबीए किया।