बेबाक अंदाज में कही थी ये बात
फरवरी 2019 में एक वेबसाइट से बातचीत में जसबीर सिंह ने सरकार की कई नीतियों पर सवाल उठाए थे। इसमें अफसरों के तबादले, एनकाउंटर नीति और शासन की कार्यशैली पर उनके कड़े बयान भी शामिल थे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि सरकार उन्हें बिना काम के वेतन दे रही थी जबकि उनके विभाग में कोई कामकाजी गतिविधि नहीं हो रही थी। उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि सरकार उन्हें बिना काम के पैसे दे रही है। रूल्स एंड मैनुअल्स में कोई काम नहीं है, जिसके लिए सरकार उन्हें पैसे दे रही है। इसके अलावा उन्होंने बड़े बेबाकी से कहा था कि नेता चाहते हैं कि अधिकारी उनके प्रति वफादार रहें जो संविधान के खिलाफ है।
कौन हैं आईपीएस जसवीर सिंह
जसवीर सिंह 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। इनका जन्म पंजाब के होशियारपुर में हुआ था। इनकी गिनती बेबाक अंदाज, साफ-सुथरी छवि वाले अधिकारियों में होती है। राज्य में चाहे किसी की भी सरकार रही हो, आईपीएस जसवीर ने अपने काम को हमेशा प्राथमिकता दी और बिना किसी से डरे काम किया। शायद यही वजह रही कि वह किसी भी जिले में 35 दिन से ज्यादा नहीं टिक पाए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर की थी कार्रवाई
साल 2002 में जसवीर सिंह
महाराजगंज में एसपी पद पर तैनात थे। वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उस वक्त वहां के सांसद हुआ करते थे। योगी द्वारा बनाए गए हिंदू युवा वाहिनी संगठन पर महाराजगंज और
गोरखपुर बॉर्डर के कुछ गांव में हिंसा फैलाने का आरोप लगा था। जसवीर सिंह ने इस मामले में योगी आदित्यनाथ को गिरफ्तार कर उनपर कार्रवाई कर दी थी। उस प्रदेश में मायावती की सरकार थी। इस घटना के ठीक दो दिन बाद ही मायावती सरकार ने उनका ट्रांसफर कहीं और करा दिया था।