आसान शब्दों में ‘राजा बेटा सिंड्रोम’ को समझा जाए तो एक भारतीय मां की अपने बेटे में कोई भी गलती या बुराई देखने की असमर्थता होती है। ऐसी मां को हमेशा यही लगता है कि उनका बेटा कभी कोई गलत काम कर ही नहीं सकता है। मा कभी भी अपने बेटों को खाना बनाना या घर आए मेहमानों का स्वागत करना नहीं सिखाती हैं। जबकि बेटियों को छोटी उम्र से ही घर का हर काम सिखाया जाता है।
ऐसी मां जो अपने बेटे की किसी भी इक्षा को पूरी करती हैं। बेटे की किसी भी अच्छी बुरी बात के लिए उसे मना नहीं कर पाती है। उसकी हर जिद्द मानने के लिए अलग से प्रयास या हर मुमकिन कोशिश करती है। फिर चाहे वो कोई महंगा खिलौना खरीदने की बात हो या फिर देर रात उसका पसंदीदा खाना खाने की इच्छा। ऐसी मां शायद ही अपने बेटे को घर का कोई काम करने के लिए कहती हैं।
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किचन में जाने की जरूरत नहींराजा बेटा वो जिसे कभी किचन में जाने की जरूरत नहीं होती। वो जरूरत पड़ने पर सिर्फ अपने लिए इंस्टेंट नूडल्स बनाना जानते हैं। ऐसे लड़के कभी भी खुद पर आत्मनिर्भर नहीं होते, वो कभी भोजन तो कभी अपनी चीजों को सही जगह पर रखने के लिए हमेशा अपनी पत्नी या मां पर निर्भर बने रहते हैं।
मां को अपने बेटे की शादी के बाद भी उसकी ही चिंता लगी रहती है। ऐसे में वो अपनी बहू से बार-बार इस तरह के सवाल करके अपनी चिंता को दूर करने की कोशिश करती हैं कि, जैसे उनके बेटे ने समय पर खाना खाया की नहीं? हालांकि ऐसा कई बार हुआ है जब वो अपनी बहू की भूख और जरूरत से जुड़ा कोई सवाल नहीं कर पाती है।
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बेटे की गलतियों को नजरअंदाज करनाबच्चे अक्सर शरारत करते हैं। ऐसे में मां-बाप का यह फर्ज है कि उन्हें सही और गलत के बारे में समझाएं। लेकिन आप अगर अपने बच्चे के गलत व्यवहार को टोके बिना उसकी गलती को प्रेरित करते हैं तो आप ‘राजा बेटा’ की मां की कैटेगरी में आती हैं।
ऐसे पुरुषों को यह समझने की जरूरत होती है कि उनकी मां और पत्नी, दो अलग-अलग व्यक्ति हैं, जिनकी परवरिश अलग तरह से हुई है। ऐसे में दोनों की तुलना करना बिल्कुल गलत है। आपकी मां को घर चलाने का सालों का अनुभव है जबकि आपकी पत्नी अभी गृहस्थी का पाठ सीख रही है।