पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI भी अक्सर भारतीय थल सेना, वायुसेना और नौसेना से जुड़े लोगों को हनीट्रैप में फंसाने की कोशिश करती रहती है। एक ताजा मामले में वायुसेना के अरुण मारवाह को हनीट्रैप में फंसाया गया और उनसे काफी जानकारी हासिल कर ली गई। अमूमन इस तरह की जानकारियों का इस्तेमाल आतंकी हमले में किया जाता है। दुश्मन जानकारी का क्या इस्तेमाल करेगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि जानकारी क्या है और कितनी गोपनीय है। इसी तरह पुलिस भी कभी कभी अपराधियों को पकड़ने के लिए हनीट्रैप करते हैं।
यह भी पढ़े – यूपी के ये 23 CBSE ICSE स्कूल हो सकते हैं बंद, थामाया गया नोटिस, Admission से पहले देंखे लिस्ट सोशल मीडिया के जरिए फंसाया जाता है
अभी तक का ट्रेंड देखें तो पता चलता है कि सोशल मीडिया के जरिए सेना से जुड़े लोगों को फंसाया जाता है। ये जरूरी नहीं कि सामने जो लड़की बातें कर रही है वो वास्तव में लड़की ही हो। कई बार पुरुष एजेंट, महिला बन कर बातें करते हैं। इसके लिए फेक प्रोफाइल्स बनाई जाती हैं। ये इस कदर असली दिखती हैं कि इन पर भरोसा कर लिया जाता है।
अभी तक का ट्रेंड देखें तो पता चलता है कि सोशल मीडिया के जरिए सेना से जुड़े लोगों को फंसाया जाता है। ये जरूरी नहीं कि सामने जो लड़की बातें कर रही है वो वास्तव में लड़की ही हो। कई बार पुरुष एजेंट, महिला बन कर बातें करते हैं। इसके लिए फेक प्रोफाइल्स बनाई जाती हैं। ये इस कदर असली दिखती हैं कि इन पर भरोसा कर लिया जाता है।
भरोसा हासिल करने के लिए नंबरों का आदान प्रदान
सेना से जुड़े लोगों या जिसे हनीट्रैप किया जाता है उसका भरोसा हासिल करने के लिए मोबाइल नंबरों का आदान प्रदान भी किया जाता है और whatsapp जैसे टूल्स से भी चैटिंग की जाती है। इस तरह की चैटिंग के दौरान अंतरंग तस्वीरें, बेहद निजी राज आदि जान लिए जाते हैं और फिर ब्लैकमेल करने में इनका इस्तेमाल किया जाता है।