दरअसल निदेशक नीरज पाठक के डायरेक्शन में बनी वेब सीरीज फिल्म ‘इंस्पेक्टर अविनाश’ एक सच्ची घटना पर आधारित है। इस वेब सीरीज में अपने समय में उत्तर प्रदेश पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट रहे अविनाश मिश्रा की बहादुरी और अपराधियों से निपटने की रणनीति को फिल्मी पर्दे पर दर्शाया गया है।
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1990 के दशक में अपनी बहादुरी के खासे मशहूर अविनाश मिश्रा के नाम से ही अपराधियों में खौफ रहता था। वहीं अविनाश मिश्र ने बताया कि फिल्म में उन्होंने कोई सीन नहीं किया है। उन्होंने कहा कि जो काम मैं कर नहीं सकता उसे क्या करना। लाइफ में पहली बार वो मीडिया को फेस कर रहे हैं इससे पहले वो कभी मीडिया के सामने नहीं आए। अविनाश मिश्र के जीवन पर बनी वेब सीरीज
यूपी के जांबाज पुलिस अधिकारी पर बनी इस वेब सीरीज का नाम ‘इंस्पेक्टर अविनाश‘ है। यह वेब सीरीज ओटीटी प्लेटफॉर्म जिओ सिनेमा पर रिलीज हो गई है। मशहूर बॉलीवुड अभिनेता रणदीप हुड्डा इसमें इंस्पेक्टर अविनाश का रोल निभाते हुए नजर आ रहे हैं। ‘इंस्पेक्टर अविनाश’ का डायरेक्शन नीरज पाठक ने किया है। एक न्यूज वेबसाइट से बातचीत में अविनाश मिश्रा ने बताया कि उनके बेटे को लगा कि पिता ने अपने पुलिस करियर में जो जाबांजी की, उसका उन्हें श्रेय नहीं मिला। इसके लिए अविनाश मिश्रा के बेटे ने फाइनेटिक मीडिया नाम से एक प्रोडक्शन हॉउस खोला। अविनाश मिश्रा ने बताया कि उनके ऊपर बनने वाली वेब सीरीज में रणदीप हुड्डा उनका रोल निभा रहे हैं, इस बात से वह बेहद खुश हैं। क्योंकि रणदीप हुड्डा उनके पसंदीदा अभिनेताओं में से एक हैं।
यूपी के जांबाज पुलिस अधिकारी पर बनी इस वेब सीरीज का नाम ‘इंस्पेक्टर अविनाश‘ है। यह वेब सीरीज ओटीटी प्लेटफॉर्म जिओ सिनेमा पर रिलीज हो गई है। मशहूर बॉलीवुड अभिनेता रणदीप हुड्डा इसमें इंस्पेक्टर अविनाश का रोल निभाते हुए नजर आ रहे हैं। ‘इंस्पेक्टर अविनाश’ का डायरेक्शन नीरज पाठक ने किया है। एक न्यूज वेबसाइट से बातचीत में अविनाश मिश्रा ने बताया कि उनके बेटे को लगा कि पिता ने अपने पुलिस करियर में जो जाबांजी की, उसका उन्हें श्रेय नहीं मिला। इसके लिए अविनाश मिश्रा के बेटे ने फाइनेटिक मीडिया नाम से एक प्रोडक्शन हॉउस खोला। अविनाश मिश्रा ने बताया कि उनके ऊपर बनने वाली वेब सीरीज में रणदीप हुड्डा उनका रोल निभा रहे हैं, इस बात से वह बेहद खुश हैं। क्योंकि रणदीप हुड्डा उनके पसंदीदा अभिनेताओं में से एक हैं।
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श्री प्रकाश समेत करीब 150 एनकाउंटर किएएक दूसरी न्यूज वेबसाइट से बातचीत में अविनाश मिश्रा ने कहा कि वेब सीरीज बनी है बहुत अच्छा लग रहा है। किसी के ऊपर फ़िल्म बने, प्राउड तो फील होगा ही। अविनाश मिश्र ने बताया कि उन्होंने अपने कैरियर में श्री प्रकाश शुक्ला जैसे दुर्दांत अपराधी, कलकत्ता में एनकाउंटर, सत्तू पांडेय, सचिन पहाड़ी, अवधेश शुक्ला, अशोक सिंह, महेंद्र फौजी, निर्भय गुर्जर, हसन पुड़िया समेत 150 के करीब अपराधियों का एनकाउंटर किया हैं। कलकत्ता में बबलू श्रीवास्तव गैंग के 4 अपराधी मारे गए थे जबकि 2 घायल हुए थे। मुन्ना बजरंगी से भी आमना सामना हुआ था जिसमें उसे व उसके साथी को गोली लगी थी बाद में मुन्ना बजरंगी जिंदा हो गया था। वहीं उन्होंने बताया कि श्री प्रकाश शुक्ला के एनकाउंटर के लिए एसटीएफ का गठन किया गया था अविनाश मिश्रा एसटीएफ के फाउंडर मेंबर भी है।
दिल्ली में खूंखार मुन्ना बजरंगी का कर दिया था एनकाउंटर
अविनाश मिश्रा ने बताया “एक बार उन्होंने दिल्ली में खूंखार गैंगस्टर मुन्ना बजरंगी का एनकाउंटर कर दिया था। उस समय पुलिस टीम में शामिल सभी ने मान लिया था कि मुन्ना और उसके साथी की मौत हो गई है, इसलिए उसे मोर्चरी ले जाया गया था। मगर बाद में पता नहीं क्या हुआ कि मुन्ना जिंदा हो गया। अविनाश मिश्रा के अनुसार, इस प्रकरण के चलते उन्हें काफी शर्मिंदगी महसूस हुई थी।”
अविनाश मिश्रा ने बताया “एक बार उन्होंने दिल्ली में खूंखार गैंगस्टर मुन्ना बजरंगी का एनकाउंटर कर दिया था। उस समय पुलिस टीम में शामिल सभी ने मान लिया था कि मुन्ना और उसके साथी की मौत हो गई है, इसलिए उसे मोर्चरी ले जाया गया था। मगर बाद में पता नहीं क्या हुआ कि मुन्ना जिंदा हो गया। अविनाश मिश्रा के अनुसार, इस प्रकरण के चलते उन्हें काफी शर्मिंदगी महसूस हुई थी।”
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जिद पर अड़कर पुलिस में जाने का लिया फैसलाहमीरपुर जिले के मूल निवासी अविनाश मिश्रा ने बताया कि 1982 में सब इंस्पेक्टर के पोस्ट भर्ती हुए थे जबकि 2019 में डिप्टी एसपी रैंक से रिटायर हुए हैं। ट्रेनिंग के बाद सबसे पहली तैनाती मेरठ में हुई थी उसके बाद एसटीएफ के गठन के बाद 2009 तक एसटीएफ में कार्यरत रहे। उसके बाद 2018-19 तक एटीएस में अपनी सेवाएं दी है। फिलहाल अविनाश मिश्रा लखनऊ में रहते हैं।
अविनाश मिश्रा ने कहा “मैंने फिजिकल एजुकेशन से पोस्ट ग्रेजुएशन किया था मेरी लाइन दूसरी थी लेकिन कुछ ऐसी घटनाएं घटी जिससे लगा कि पुलिस में जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि उनके पिता फ्रीडम फाइटर थे उन्हें पसंद नहीं था लेकिन अपनी जिद से पुलिस में जाने का फैसला लिया। तभी से जुनून था कि अपराधियों से निपटना है।” वहीं अविनाश बताते हैं “कभी भय नाम कोई चीज नहीं रही। अगर भय रहता तो इतने एनकाउंटर नहीं कर पाते। उन्होंने बताया कि पुलिस में भर्ती ही इसी काम के लिए हुए थे।”
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पहली पोस्टिंग में एक साल के भीतर 3 अपराधियों को ढेर कियामौजूदा समय में एनकाउंटर पर हो रही राजनीति पर अविनाश मिश्र कहते हैं कि जब पॉलिटिक्स इन्वॉल्व हो जाती है तब इस तरह की बाते होती है। एनकाउंटर हमेशा से होते रहे हैं, पहले भी अच्छे अधिकारी थे अब भी अच्छे अधिकारी है। पुलिस अधिकारी अपना काम कर रहे है। हम लोग भी एनकाउंटर करते थे अभी भी बढ़िया काम हो रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मेरे ऊपर ना कभी किसी तरह का दबाव रहा और ना ही कभी दबाव में काम किया है।
अविनाश ने बताया कि पहली तैनाती के बाद से एनकाउंटर शुरू कर दिया था मेरठ में एक साल भी पूरा नहीं हुआ था तभी एक साथ तीन लोगों को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था। 1985 में ट्रेनिंग खत्म होने के बाद पहली पोस्टिंग डेल्ही गेट मेरठ में हुई थी। तब से एनकाउंटर का सिलसिला जारी था।