भारतीय मौसम विभाग (India Meteorological Department) से जुड़े विज्ञानियों के अनुसार मानसून के समय पर पहुंचने के लिए आवश्यक है कि दक्षिणी गोलार्ध (Southern hemisphere) में उच्च दबाव का क्षेत्र बड़े दायरे और प्रभाव वाला हो। साथ ही सोमालिया कोस्ट (Somalia Coast) से 30 से 35 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली कम दबाव वाली हवाएं भारत की ओर समय से आएं, लेकिन जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से ऐसा नहीं हो पा रहा। यही वजह है कि मानसून की दस्तक और विदाई दोनों देरी से होने लगी है। मौसम विभाग के लखनऊ स्थित कार्यालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार जलवायु परिवर्तन के फलस्वरूप सर्दी, गर्मी और बारिश के मौसम की अवधि में भी बदलाव स्पष्ट रूप से दिख रहा है। इसके कारण पिछले कुछ सालों से सर्दी और गर्मी का असर आमतौर पर देर से महसूस होना शुरू हो रहा है और यह असर अधिक समय तक रहता है। इसका सीधा प्रभाव मानसून की गतिविधियों पर भी पड़ा है। गर्मी का दायरा बढ़ रहा है, जबकि सर्दी व वर्षा ऋतु का घट रहा है। देश में दक्षिणी पश्चिमी मानसून केवल देरी से ही नहीं आ रहा अपितु बारिश के दिन भी कम हो गए हैं। जून से सितंबर के बीच पहले जहां 80 से 100 दिन तक बारिश होती थी वहीं अब यह आंकड़ा बमुश्किल 40 से 60 दिन का रह गया है।
8 की मौत, 4-4 लाख का मुआवजा
उत्तर प्रदेश में सोमवार रात से कुछ जिलों में रुक-रुक कर बारिश हो रही है। राज्य के तीन जिलों में बिजली गिरने से 8 लोगों की मौत हो गई। राज्य के आपदा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बिजली गिरने से आजमगढ़ में 4, अंबेडकर नगर और ललितपुर में दो-दो लोगों की मौत हो गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सभी मृतकों के परिजन को 4-4 लाख रुपए की आर्थिक मदद देने की घोषणा की है।