फसलों पर मौसम का असर उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में कुछ दिनों से रुक-रुक कर बारिश हुई है। ठंड के सीजन में बारिश ने किसानों का जनजीवन अस्त व्यस्त कर दिया है। मौसम में बदलाव से हल्कि बूंदाबांदी का भी असर फसलों पर पड़ रहा है। आलू, तिलहन फसलों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। पाला से आलू की फसल प्रभावित होने के बाद अब बदले मौसम से राई, सरसों और अरहर की फसलों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। इसी के साथ गेहूं की फसल भी प्रभावित हो रही है।
रबी सीजन में गेहूं के अलावा मुख्य फसल के रूप में आलू, राई, सरसों, मटर व अरहर की बोआई किसान करते हैं। तापमान में गिरावट से करीब 20 प्रतिशत आलू की फसल को नुकसान हुआ है। उधर, अब राई, सरसों की फसलों में माहू कीट के आसार बढ़ गए हैं। कृषि वैज्ञानिक नौशाद आलम का इस पर कहना है कि 22 से 28 डिग्री सेल्सियस तापमान तिलहन व दलहन फसलों के लिए काफी अच्छा होता है। बादल छाने से तिलहन की फसलों में कीट लगने के आसार बढ़ जाते हैं। कृषि रक्षा अधिकारी सत्येंद्र सिंह का कहना है कि मौसम में लगातार हो रहे बदलाव से आलू व दलहनी फसलों की उत्पादकता पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। रबी दलहन व तिलहन फसलों में खरपतवार नियंत्रण करना अति आवश्यक है। उन्होंने किसानों को सुझाव दिया कि आलू व राई, सरसों फसल को पाले से बचाने के लिए खेत में नमी रखें। अगर आलू, सरसों व मटर में किसानों को झुलसा का प्रकोप दिखे तो तत्काल उपचार करें।
मेरठ में सबसे ज्यादा बारिश प्रदेश में मेरठ में सबसे ज्यादा बारिश रिकार्ड की गई है, जबकि मेरठ के आंकड़े देखें तो जनवरी में कुल 10.2 मिलीमीटर बारिश का औसत है। ऐसे में 14 घंटे में पूरे माहभर में होने वाली की बारिश का दोगुना पानी बरस गया। पिछले कुछ सालों से जनवरी में बारिश औसत से ज्यादा हो रही है। वर्ष 2019 में 24 घंटे के अंतराल में 33.3 मिलीमीटर बारिश हुई थी।
8 जनवरी से सताएगी शीतलहर मौसम विभाग के मुताबिक बंगाल की खाड़ी से आने वाली नम हवाओं और पश्चिम विक्षोभ के कारण पंजाब, राजस्थान, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर भारत में बारिश हो रही है। आठ जनवरी से शीतलहर एक बार फिर अपना असर दिखाएगी। न्यूनतम तापमान में गिरावट होगी।