लखनऊ

शुभ योग में शुरू हो रहे हैं वासंतिक नवरात्र, इस बार घोड़े पर सवार होकर आएंगी माता, जाने विधि व्रत और पूजा

इस बार वासंतिक नवरात्र का आरंभ रेवती नक्षत्र में हो रहा है। इससे सर्वार्थ सिद्धि योग और धाता योग बन रहा है। इस बार नवरात्रि और नव संवत का आरंभ बड़े शुभ योग में हो रहा है। शनिवार को वर्ष आरंभ होने से 2022 व संवत 2079 के राजा शनिदेव होंगे और शनिवार से नवरात्रि आरंभ होने कारण दुर्गा मां का वाहन घोड़ा होगा।

लखनऊMar 31, 2022 / 12:01 pm

Karishma Lalwani

Vasantik Navratri Auspicious Yog Vrat Vidhi Puja

इस साल एक अप्रैल से नवरात्र व्रत का पर्व आरंभ हो रहा है। इस बार वासंतिक नवरात्र का आरंभ रेवती नक्षत्र में हो रहा है। इससे सर्वार्थ सिद्धि योग और धाता योग बन रहा है। इस बार नवरात्रि और नव संवत का आरंभ बड़े शुभ योग में हो रहा है। शनिवार को वर्ष आरंभ होने से 2022 व संवत 2079 के राजा शनिदेव होंगे और शनिवार से नवरात्रि आरंभ होने कारण दुर्गा मां का वाहन घोड़ा होगा। घोड़े पर बैठकर मां दुर्गा अपने भक्तों के यहां आएंगी। नवरात्र में कैसे रखें व्रत औऐर इसके क्या हैं लाभ, यह बता रहे हैं आचार्य डॉ शिव बहादुर तिवारी।
माता के वाहन का है विशेष महत्व

आचार्य डॉ. शिव बहादुर तिवारी ने बताया कि नवरात्रि में माता के वाहन के विषय में देवीभागवत पुराण में एक श्लोक में बताया गया है कि ’शशि सूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे। गुरौ शुक्रे च डोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता।’ अर्थात रविवार और सोमवार को आरंभ होने वाले नवरात्रों में दुर्गा माता हाथी पर सवार होकर आती हैं। शनिवार व मंगलवार को माता घोड़े पर सवार होकर आती हैं। बृहस्पतिवार और शुक्रवार को माता झूले पर सवार होकर आती हैं। बुधवार को आरंभ होने वाले नवरात्रों में नाव पर सवार होकर आती हैं। इस वर्ष शनिवार को नवरात्र आरंभ हो रहे हैं, इसलिए दुर्गा माता घोड़े पर सवार होकर आएंगी। घोड़े पर सवार होने का तात्पर्य है कि राज्य अथवा देशों में छत्र भंग हो जाएंगे। अर्थात राज्यों में अथवा देशों में शासन परिवर्तन होने की संभावनाएं होती हैं।
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इस शुभ मुहूर्त में घटस्थापना करें देवीभक्त

आचार्य ने बताया कि इस नवरात्र पर घटस्थापना के लिए सबसे अच्छा समय प्रातः 6:46 से 8:22 बजे तक मेष लग्न में शुभ रहेगा। इसके बाद नौ बजे से 10:30 बजे तक राहुकाल है। इस अवधि में कलश स्थापना नहीं करनी चाहिए। इसके बाद 10:30 बजे से 12:31 बजे तक मिथुन लग्न बहुत उत्तम है। इस लग्न की अवधि में 11:36 से 12:24 तक का अभिजीत मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है। मध्यान्ह 2:52 से 5:09 तक स्थिर लग्न सिंह लग्न है जो कलश स्थापना के लिए उत्तम मुहूर्त माना जाता है।
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पूजन में इन सामग्रियों का करें प्रयोग

आचार्य डॉ. तिवारी ने बताया कि सामग्री, रोली, चावल, कलावा, पुष्पमाला, पान, जौ, दीपक, मिट्टी अथवा तांबे का कलश लौंग एवं घी को यथा विधि तैयार कर लें। स्नान करके गंगाजल से अपने कलश स्थापना स्थल को स्वच्छ करें। एक चौकी पर दुर्गा मां की मूर्ति रखें अथवा जिनके घर में मंदिर बने हुए हैं वह मंदिर के पास उपरोक्त व्यवस्था करें। अपने बाएं हाथ की ओर कलश की स्थापना करें और दाहिने हाथ की ओर दीपक जलाएं।

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