उप्र जल परिवहन विभाग के एक अधिकारी के अनुसार अक्टूबर 2018 में भारत और बांग्लादेश के बीच जलपरिवहन समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत दोनों देशों के बीच व्यापार और क्रूज की आवाजाही को सुगम बनाने की बात कही गयी थी। वाराणसी से हल्दिया के बीस जल परिवहन शुरू होने से बांग्लादेश के चटगांव और मोंगला बदंरगाह और पश्चिम बंगाल के हल्दिया पोर्ट पर रौनक और बढ़ जाएगी। साथ ही लॉजिस्टक लागत में भी बहुत कमी आएगी। वाराणसी के अलावा झारखंड के साहिबगंज, पश्चिम बंगाल के हल्दिया और फरक्का मल्टी मोडल टर्मिनल का विकास भी तेजी से होगा।
यह भी पढ़ें
CM Yogi Adityanath ने लेखपालों को बांटे लैपटॉप, अब किसानों को घर बैठे मिलेगा उनकी जमीन-जायदाद का ब्योरा
बजट में प्रावधानमोदी सरकार 2.0 के पहले आम बजट 2019 में गंगा जल परिवहन के तहत वाराणसी से हल्दिया तक जलमार्ग 2020 तक पूरा करने की बात कही गयी है। इसके चालू होते ही विभिन्न कार्गो की आवाजाही बांग्लादेश के रास्ते बंगाल की खाड़ी होते हुए अन्य देशों तक हो सकेगी। गौरतलब है कि चार मल्टी मॉडल टर्मिनल का निर्माण भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण विश्व बैंक की मदद से कर रहा है। जल परिवहन के लिए वाराणसी से हल्दिया तक 1390 किलोमीटर लंबे जलमार्ग पर करीब 4200 करोड़ की लागत आई है। अगस्त 2016 में ट्रायल रन के तहत वाराणसी से मारुति कार की खेप हल्दिया भेजी गई थी तब से जलमार्ग के कई खंडों में 15 बार कार्गो की आवाजाही हो चुकी है।
विश्व की सबसे बड़ी कंटेनर कंपनी जुड़ी
वाराणसी से हल्दिया के बीच शुरू हुए जल परिवहन से कंटेनर शिपिंग कंपनी मेस्र्क जुड़ चुकी है। गौरतलब है कि विश्वभर में मेस्र्क के सालाना 12 मिलियन कंटेनर चलते हैं। वाराणसी काइनलैंड वॉटर हाइवे-वन देश का पहले मल्टीमॉडल टर्मिनल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते साल 12 नवंबर को इसका लोकार्पण किया था। उस दिन कोलकाता से वाराणसी पहुंचे देश के पहले कंटेनर कार्गो को भी रिसीव किया गया था। मेस्र्क के कंटेनर के साथ ही पेप्सिको, इमामी एग्रोटेक, इफको और डाबर जैसी कंपनियों कंटेनर यहां से भेजे और मंगाए जा सकते हैं।
वाराणसी से हल्दिया के बीच शुरू हुए जल परिवहन से कंटेनर शिपिंग कंपनी मेस्र्क जुड़ चुकी है। गौरतलब है कि विश्वभर में मेस्र्क के सालाना 12 मिलियन कंटेनर चलते हैं। वाराणसी काइनलैंड वॉटर हाइवे-वन देश का पहले मल्टीमॉडल टर्मिनल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते साल 12 नवंबर को इसका लोकार्पण किया था। उस दिन कोलकाता से वाराणसी पहुंचे देश के पहले कंटेनर कार्गो को भी रिसीव किया गया था। मेस्र्क के कंटेनर के साथ ही पेप्सिको, इमामी एग्रोटेक, इफको और डाबर जैसी कंपनियों कंटेनर यहां से भेजे और मंगाए जा सकते हैं।
यह भी पढ़ें
जानें- क्या है Kanya Sumangla Yojana, किसे मिलता है इस योजना का लाभ
अन्य नदियों पर भी बनेगा राष्ट्रीय जलमार्गउप्र में जल परिवहन प्राधिकरण 1986 में बना था। इसी ने अभी तक वॉटर वेज का विकास किया है। हल्दिया से वाराणसी तक जल परिवहन की तर्ज पर गंगा और यमुना को मिलाते हुए 11 जल परिवहन मार्ग चिन्हित किए हैं। इससे लोगों को परिवहन का नया माध्यम मिलेगा। गंगा नदी पर बने राष्ट्रीय जल मार्ग 1 और यमुना पर बनने वाले राष्ट्रीय जलमार्ग 110 को आपस में जोडऩे की योजना (New Transport System) है।
एक नजर में प्रोजेक्ट
लंबाई-1390 किलोमीटर
लागत-4200 करोड़
शुरुआत-अगस्त 2016
क्या-वाराणसी से मारुति कार की खेप हल्दिया गयी
अब तक- 15 कार्गो की आवाजाही
लंबाई-1390 किलोमीटर
लागत-4200 करोड़
शुरुआत-अगस्त 2016
क्या-वाराणसी से मारुति कार की खेप हल्दिया गयी
अब तक- 15 कार्गो की आवाजाही
यह भी पढ़ें