कानपुर. कानपुर जीआरपी में तैनात हेड कांस्टेबल चिंतामणि यादव ने सोमवार सुबह जीआरपी पुलिस लाइन के अंदर बाथरूम में गोली मारकर जान दे दी। इस घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस महकमे में खलबली मच गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने छानबीन की। उसका लाइसेंसी पिस्टल जमीन पर पड़ा था। वह खून से लथपथ था। सूचना मिलने पर खुल्दाबाद पुलिस ने विधिक कार्रवाई शुरू की। पुलिस ने कहा कि मांडा थाना क्षेत्र के चकडीहा गांव निवासी चिंतामणि यादव की जीआरपी कानपुर में तैनाती थी। सोमवार सुबह वह ट्रेन से प्रयागराज जंक्शन पहुंचा। शाम को उसे कालका एक्सप्रेस में लेकर जाना था। सुबह करीब 9:30 बजे वह किसी से फोन से बात कर रहा था। इसके बाद वह अचानक बाथरूम के अंदर गया और पिस्टल से खुद को गोली मार ली। चिंतामणि की भाभी फूलपति देवी चकडीहा ग्राम की प्रधान है।
अनियंत्रित ट्रैक्टर ट्रक पलटी, 25 घायल हरदोई. हरदोई सीतापुर रोड पर टडियावा थाना क्षेत्र में इटौली पुल के पास अनियंत्रित ट्रैक्टर ट्राली खाई में पलट गई। हादसे में सवार 25 लोग जख्मी हो गए। दो लोगों के अधिक चोट होने के कारण जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। अन्य सभी के हल्की-फुल्की चोट होने के कारण प्राथमिक उपचार के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया। सांडी थाना सबिरपुर गांव निवासी कुरेंद्र गुप्ता अपने साथ ट्रैक्टर ट्राली से करीब 50 लोगों के साथ सई नदी में मूर्ति विसर्जित करने के जा रहे थे। इसी बीच रास्ते में टडियावा थाना के इटौली पुल के पास सामने से आ रहे वाहन को देखकर ट्रैक्टर ड्राइवर ने गाड़ी रोकने का प्रयास किया, लेकिन ट्रैक्टर में ब्रेक नहीं लगी। इसके कारण ट्रैक्टर अनियंत्रित होकर पलट गया जबकि ट्राली पलटने से बच गई। हालांकि ट्राली में सवार सभी 25 लोग जख्मी हो गए।
मनरेगा मजदूरों ने किया प्रदर्शन वाराणसी. अपनी विभिन्न समस्याओं को लेकर स्थानीय ब्लाक मुख्यालय पर सोमवार को सैकड़ों मनरेगा मजदूर यूनियन की अगुवाई में कई गांवों के मनरेगा मजदूरों ने प्रदर्शन किया। मजदूरों का आरोप था कि काम मांगने पर समय से काम नहीं मिलता। मिलता भी है तो कुछ खास लोगों को ही मिलता है जिसकी पहुंच होती है। पारिश्रमिक का भुगतान भी समय से नहीं किया जाता। वहीं दूसरी ओर प्रदर्शन के दौरान लोगों ने मांग किया कि अगर उनको काम और भुगतान नहीं दिया जा रहा है तो उनको बेरोजगारी भत्ता अवश्य दिया जाए। गांव से लेकर ब्लाक तक शिकायत करने पर कोई सुनवाई नहीं होती। मजदूरों की मांग थी कि सभी मनरेगा मजदूरों को 100 दिन का काम मिलना चाहिए। आवेदन के बावजूद भी समय से काम न मिलने की भी शिकायत थी मजदूरों की मांग थी कि अगर आवेदन के 15 दिन के अंदर काम नहीं दिया जाता तो उसके बदले बेरोजगारी भत्ता दिया जाए।