मुख्यमंत्री ने हाल में अधिकारियों के साथ वीडियो कॉनफ्रेंसिंग के जरिए बैठक की। उसमें उन्होंने साफ कहा कि एसीपी और थानेदार दोनों को रात में हर हाल में अपने क्षेत्र में रुकना होगा। वह अपने क्षेत्र को छोड़कर दूसरे क्षेत्र में न रहें। मुख्यमंत्री ने कहा कि क्षेत्र में ही एसीपी और इंस्पेक्टर के लिए सरकारी आवास की व्यवस्था होती है। अगर यह व्यवस्था किन्हीं कारणों से नहीं हो सकी है तो अफसरों को क्षेत्र में ही किराए का घर देख लेना चाहिए।
यह भी पढ़े – क्या रिवॉल्वर पिस्टल की गोली में होता है जहर, आखिर कैसे हो जाती है मौत होटलों में बुक रहते हैं कमरें स्थानीय होटल संचालकों का कहना है कि थाना क्षेत्र के स्थानीय होटल में पुलिस इंस्पेक्टर का कमरा बुक रहता है। कई बार ऐसे में वायरल वीडियो का देखने को मिले हैं। कई बार अधिकारियों ने छापा मारा तो इंसपेक्टर और सिपाहियों को रंगे हाथ पकड़ा है।
हमेशा से होटल रहे टारगेट शासन की मंशा का पालन सीओ और इंस्पेक्टर स्तर के अफसर पहले से करते आए हैं। मगर उनका तरीका अलग रहा है। इंस्पेक्टर साहब का कमरा क्षेत्र के सबसे अच्छे होटल में हमेशा बुक रहता है। जहां पर वह दोपहर और रात में आराम करने पहुंचते हैं। कमावेश यही स्थिति उन सीओ की भी होती है जो अपने परिवार को साथ नहीं रखते।
यह भी पढ़े – अब रुकेगी बिजली चोरी, जितना जलाओगे उतना बिल चुकाओगे अब गांवों में भी लगेगा प्रीपेड मीटर थाने में ही बनवा लिया रूम कुछ इंस्पेक्टरों ने और भी समझदारी का काम किया है। उन्होंने थाने में अपने दफ्तर के पास ही रेस्टरूम बनवा लिया है। दोपहर के समय वह वहीं पर विश्राम कर लेते हैं। उस दौरान उनका सीयूजी नम्बर उनके नेक्स्ट टू ऑफिसर सम्भालते हैं। इस तरह से नौकरी चलाते हैं।
सरकारी वाहन की जगह प्राइवेट वाहन पहले इंस्पेक्टर सरकारी जीप लेकर ही होटल में आराम करने पहुंच जाया करते थे मगर 2015 के बाद से इस ट्रेंड में धीरे धीरे बदलाव आया। सरकारी जीप के ट्रेस होने का खतरा ज्यादा रहता है और अब सोशल मीडिया की मजबूत स्थिति में इंस्पेक्टरों और अन्य पुलिस कर्मियों ने अपना ट्रेंड बदला है। वह अब निजी वाहन से होटल पहुंचते हैं। कई बार तो मोटरसाइकिल का ही प्रयोग करते हैं।