लखनऊ

यूपीः ऑक्सीजन की डिमांड हुई कम, अब रुके हुए उद्योगों को मिलेगी ऑक्सीजन

Uttar pradesh government divert oxygen supply to industries. कोरोना केस कम होने के साथ ऑक्सीजन की डिमांड भी हुई कम, अब एक्ट्रा ऑक्सीजन होंगी इंडस्ट्रमियों में ट्रांसफर, प्रतिदिन 80-100 टन ट्रांसफर का है लक्ष्य.

लखनऊMay 28, 2021 / 04:03 pm

Abhishek Gupta

Oxygen Industries

पत्रिका न्यूज नेटवर्क.
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में कोरोना (Coronavirus in UP) के मामले जैसे-जैसे कम होते जा रहे हैं, वैसे-वैसे ऑक्सीजन की सप्लाई (Oxygen supply) अब उद्योगों की ओर डायवर्ट की जाने लगी है। सरकार ने इस पर फैसला कर लिया है। बीते दो महीनों में कई उद्योगों का परिचालन केवल इसलिए बंद हो गया था क्योंकि कोविड केस बढ़ने के साथ ही मेडिकल ऑक्सीजन की मांग तीन गुना तक बढ़ गई थी। इससे उद्योगों को सप्लाई होने वाली ऑक्सीजन शून्य हो गई थी। इससे सबसे ज्यादा स्टील सेक्टर (Steel Sector) प्रभावित हुआ था, जिसके यूपी में लगभग 300 प्लांट हैं। सड़क निर्माण, बिजली परियोजनाओं के साथ-साथ प्रमुख निर्माण और बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में लगी एमएसएमई (MSME) इकाइयों को भी ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है, लेकिन बीते दो महीनों में इन्हें भी कोरोना की मार झेलनी पड़ी है। कई उद्योग बंद होने की कगार पर आ गए हैं, लेकिन कोरोना के काले बादल जैसे-जैसे छंटने लगे हैं, वैसे-वैसे इन उद्योगों के दिन बहुरने लगे हैं। पिछले सप्ताह तक सरकार 1,000 टन से अधिक मेडिकल ऑक्सीजन की मांग की आपूर्ति कर रही थी, जो अब घटकर लगभग 700 टन प्रति दिन पर आ गई है। ऐसे में सरप्लस ऑक्सीजन इन उद्योगों को डायवर्ट की जाने लगी हैं। फिलहाल प्रतिदिन 80-100 टन ऑक्सीजन ट्रांसफर का लक्ष्य रखा गया है।
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आईआईए और सीआईआई ने किया था अनुरोध-
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आईआईए) और कॉन्फिडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) ने सरकार से आग्रह किया था कि जब कोरोना के मामले कम हो रहे हैं व मेडिकल ऑक्सीजन की मांग भी कम हो रही, ऐसे में उपलब्ध ऑक्सीजन को डिवाइड किया जा सकता है। निकायों ने सरकार से औद्योगिक और चिकित्सा उपयोग दोनों के लिए ऑक्सीजन के वितरण पर विचार करने का अनुरोध किया था। इसमें बताया गया कि ऑक्सीजन की किल्लत के कारण एमएसएमई क्षेत्र सहित कई इकाइयों को बंद करना पड़ा था। बाद में अनुरोध को मानते हुए सरकार के आदेशानुसार मंगलवार को 27 मीट्रिक टन ऑक्सीजन इन उद्योगों को दी गई।
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90 प्रतिशत उद्योगों में और शेष 10 प्रतिशत मेडिकल के लिए होती थी इस्तेमाल-
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आईआईए) के प्रमुख पंकज कुमार ने बताया कि चूंकि चिकित्सा की मांग कम हो रही है और अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट भी आ रहे हैं, इसलिए उत्पादन का लगभग 20-30 प्रतिशत उद्योगों को बहाल किया जा सकता है। पहले उत्पादित ऑक्सीजन का 90 प्रतिशत उद्योगों में और शेष 10 प्रतिशत चिकित्सा उपयोग के लिए जाता था। हालांकि, महामारी के दौर में परिदृश्य को देखते हुए, हमने अनुरोध किया है कि उद्योग के लिए कम से कम 20 प्रतिशत डायवर्जन किया जाए।
यहां भी होती है ऑक्सीजन की जरूरत-
उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में एमएसएमई सहित कई औद्योगिक इकाइयों को परिचालन बंद करना पड़ा है। सड़क निर्माण और बिजली परियोजनाओं सहित प्रमुख निर्माण और बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में लगी एमएसएमई इकाइयों को भी ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। सरकार ने इन परियोजनाओं के साथ-साथ चिकित्सा उपकरणों के निर्माण के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति बहाल करने की अनुमति दी है। कुमार ने कहा, राज्य सरकार ने कृषि उपकरण, मशीन निर्माण के साथ-साथ स्टील प्लांट्स के उत्पादन के लिए ऑक्सीजन देने को मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि स्टील सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है क्योंकि यूपी में स्टील इंडस्ट्री से संबंधित लगभग 300 प्लांट्स हैं जैसे भट्टियां, रोलिंग मिल इत्यादि। इंडस्ट्री निकायों ने कहा कि इनमें से अधिकतर इकाइयां कच्चे माल की बढ़ती लागत, परिवहन कीमतों में वृद्धि और ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी के संयुक्त प्रभाव के तहत बंद हो गईं।
Oxygen for industrial usage

तीन दिन के सरप्लस बनाए रखने में हम सक्षम: नवनीत सहगल
अतिरिक्त मुख्य सचिव (सूचना) नवनीत सहगल ने भी बताया कि पिछले चार दिनों में मेडिकल ऑक्सीजन की डिमांड में और गिरावट आई है। हम मेडिकल सप्लाई के लिए तीन दिन के अधिशेष (सरप्लस) ऑक्सीजन को बनाए रखने में सक्षम हैं, इसलिए उद्योगों के लिए ऑक्सीजन सप्लाई को डायवर्ट करने का निर्णय लिया गया है। पिछले हफ्ते, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने सरकार से अस्पतालों और उद्योगों के बीच आनुपातिक रूप से ऑक्सीजन वितरित करने की अपील की। सीआईआई द्वारा भी एक और अपील की गई, जिसमें यूपी के चेयरपर्सन सीपी गुप्ता ने कहा कि उन्हें उद्योगों, विशेष रूप से स्टेनलेस स्टील निर्माताओं और निर्यातकों से कॉल आ रहे हैं। उन्हें तरल स्टेनलेस स्टील को शुद्ध करने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। नवनीत सहगल ने कहा कि एयर सेपरेशन यूनिट्स से कहा गया है कि वे अपने अधिशेष (सरप्लस) ऑक्सीजन को उद्योगों को बेच सकते हैं और प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में इसका डायवर्जन शुरू हो गया है। रेलवे और मेट्रो जैसी प्रमुख परियोजनाओं में पहले से ही इसे भेजा जा रहा है।

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