अखिलेश यादव की सरकार में 5 सालों में 2566 शराब की दुकानें खुली थीं। इससे राजस्व में 11.5 फीसदी का उछाल आया। यानी राजस्व 4490 करोड़ रुपए बढ़कर 22,377 करोड़ रुपए से 24,943 करोड़ रुपए पहुंचा। जबकि, बहुजन समाज पार्टी यानी मायावती की मई 2007 से मार्च 2012 की सरकार में 3621 शराब की दुकानें खुलीं। इससे राजस्व 106 फीसदी तक बढ़ा। इसमें शराब की दुकानें वित्त वर्ष 2007-08 में 17,287 थीं, जिनकी संख्या बढ़कर 2011-12 में 20,908 हुई। इसमें राजस्व 3948 करोड़ से 8139 करोड़ पर पहुंचा था। तीनों सरकारों का सालाना औसत देखा जाए तो योगी सरकार में हर साल अब तक 500 शराब की दुकानें खुलीं। वहीं अखिलेश के शासन काल में भी सालाना करीब 500 दुकान शराब की दुकानें खुलीं। वहीं मायावती की सरकार में सालाना औसतन 724 नई शराब की दुकानें खुली।
आबादी का अनुपात
यूपी- 20 करोड़ की जनसंख्या पर 27352 शराब दुकानें
दिल्ली-1.5 करोड़ की जनसंख्या पर 850 शराब दुकानें शराब भर रही यूपी की झोली
-राजस्व का 10 प्रतिशत हिस्सा शराब से
-2020-21 में 30061 करोड़ की कमाई
यूपी- 20 करोड़ की जनसंख्या पर 27352 शराब दुकानें
दिल्ली-1.5 करोड़ की जनसंख्या पर 850 शराब दुकानें शराब भर रही यूपी की झोली
-राजस्व का 10 प्रतिशत हिस्सा शराब से
-2020-21 में 30061 करोड़ की कमाई