पुराने पन्ने पलटे तो माहामारी के शुरूआती दिनों में टेस्टिंग की भी कोई व्यवस्था नहीं थी। वायरस भी ऐसी गुत्थी थी, जिसे आज भी सुलझाने में प्रदेश व देश के दिग्गज डॉक्टर लगे हुए हैं। पर आज जिस स्तर पर टेस्टिंग हो रही है व इससे निपटने की जो व्यवस्था है वह पूरे देश और दुनिया में सर्वविदित है। आज अस्पतालों में बेड्स, आईसीयू व टेस्टिंग किट के साथ प्रदेश का स्वास्थ्य अमला कोरोना से जंग में पूरी तरह सक्षम है। एक वक्त प्रतिदिन हजारों की संख्या में आने वाले कोरोना के मामले अब करीब 150 पर आकर सिमट गए हैं। हालांकि एक साल बाद कोरोना अब दोबारा सिर उठा रहा है और प्रत्येक नारगिक को सावधान रहने की जरूरत है।
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कोरोना का संक्रमण जब बढ़ा, तो प्रदेश का शायद ही कोई जिला हो, जो इसकी चपेट में न आया हो। संक्रमण की दर सबसे ज्यादा सितंबर माह में रही। 4.2 प्रतिशत दर के साथ सबसे ज्यादा 68,235 मामले सितंबर में आए थे। अब प्रदेश का रिकवरी रेट 98.2 प्रतिशत है। सर्वाधिक 3.18 करोड़ लोगों की कोरोना जांच हो चुकी है।
कोरोना का संक्रमण जब बढ़ा, तो प्रदेश का शायद ही कोई जिला हो, जो इसकी चपेट में न आया हो। संक्रमण की दर सबसे ज्यादा सितंबर माह में रही। 4.2 प्रतिशत दर के साथ सबसे ज्यादा 68,235 मामले सितंबर में आए थे। अब प्रदेश का रिकवरी रेट 98.2 प्रतिशत है। सर्वाधिक 3.18 करोड़ लोगों की कोरोना जांच हो चुकी है।
सबसे पहले पूल टेस्टिंग यूपी में-
लखनऊ केजीएमयू के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष प्रो. तूलिका चंद्रा ने बताया कि सबसे पहले पूल टेस्टिंग, प्लाज्मा थैरेपी प्रदेश में ही शुरू हुई थी। अब प्रतिदिन दो लाख लोगों का कोरोना टेस्ट हो सकता है। प्रदेश के 229 सरकारी व प्राइवेट लैब में जांच के प्रबंध हैं। अब एनआइवी पुणे की तर्ज पर यूपी में कोरोना जांच के लिए पहली बॉयो सेफ्टी लेवल (बीएसएल) फोर लैब स्थापित की जाएगी।
लखनऊ केजीएमयू के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष प्रो. तूलिका चंद्रा ने बताया कि सबसे पहले पूल टेस्टिंग, प्लाज्मा थैरेपी प्रदेश में ही शुरू हुई थी। अब प्रतिदिन दो लाख लोगों का कोरोना टेस्ट हो सकता है। प्रदेश के 229 सरकारी व प्राइवेट लैब में जांच के प्रबंध हैं। अब एनआइवी पुणे की तर्ज पर यूपी में कोरोना जांच के लिए पहली बॉयो सेफ्टी लेवल (बीएसएल) फोर लैब स्थापित की जाएगी।
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– 11 सितंबर, 2020 को कोरोना प्रदेश में पीक पर था, उस वक्त सर्वाधिक 7,103 मरीज मिले थे
– 17 सितंबर, 2020 को थे सर्वाधिक 68,235 एक्टिव केस
– 2 मंत्रियों – कमल रानी वरुण, चेतन चौहान की कोरोना से गई थी जान
– सबसे ज्यादा 81 हजार मरीज लखनऊ में मिले
– सबसे कम 1,318 मरीज हाथरस में मिले
– सबसे ज्यादा लखनऊ में 1186 मरीजों की जान गई थी
– सबसे कम 6 मौतें कासगंज में हुई
– 11 सितंबर, 2020 को कोरोना प्रदेश में पीक पर था, उस वक्त सर्वाधिक 7,103 मरीज मिले थे
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– 2 मंत्रियों – कमल रानी वरुण, चेतन चौहान की कोरोना से गई थी जान
– सबसे ज्यादा 81 हजार मरीज लखनऊ में मिले
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