प्रदेश की राजधानी के ठाकुरगंज और महानगर थाना क्षेत्र अंतर्गत बिना मानचित्र के अनाधिकृत रूप से भवनों का निर्माण कार्य तोड़ने की कार्रवाई लगातार जारी है। लखनऊ विकास प्राधिकरण के द्वारा बुधवरा को ही अंडरवर्ल्ड माफिया मकबूल अहमद का अवैध निर्माण पर बुल्डोजर कार्यवाही हुई। इसके अलावा चालकपुर में एक सप्ताह पहले एक नाबालिग के साथ गैंगरेप हुआ था। वहां भी अधिकारी बुलडोजर लेकर पहुंच गए। अलग-अलग मामलों के आरोपियों की संपत्तियों पर बुलडोडर चलने की खबरें और भी जगहों से आ रही हैं। एटा, कासगंज, गोरखपुर और महाराजगंज में भी बुलडोजर चले चुके हैं।
यह भी पढ़े – अस्त्र-शस्त्र के हैं शौकीन तो ऐसे करें आवेदन, आसानी से मिल रहा असलहे का लाइसेंस बुल्डोजर चलाने का किया है कानून प्रदेश के उच्च पद के अधिकारी ने बताया कि बुलडोजर से संपत्ति ढहाने की कार्रवाई ‘उत्तर प्रदेश अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट 1973’ के तहत होती है कानून में एक धारा है, जिसे धारा 27 कहा जाता है। इसके तहत ही प्रशासन को अवैध संपत्तियों को ढहाने का अधिकार मिला हुआ है। साथ ही इस संबंध में विकास प्राधिकरण के चेयरमैन और वाइस चेयरमैन नोटिस जारी कर सकते हैं। इसमें राजस्व विभाग के अधिकारी इसमें उनकी मदद करते हैं।
क्या कहता है एक्ट एक्ट कहता है कि अगर संपत्ति गिराने का अंतिम आदेश जारी हो चुका है, तो प्रशासन को अधिकतम 40 दिनों के अंदर संपत्ति को गिराना अनिवार्य है। एक्ट के अनुसार संपत्ति गिराने का आदेश उस संपत्ति के मालिक को अपना पक्ष रखने का एक अच्छा मौका दिए बिना जारी नहीं किया जा सकता। यही नहीं, आदेश जारी होने के 30 दिनों के भीतर संपत्ति का मालिक आदेश के खिलाफ चेयरमैन से अपील कर सकता है। सुनवाई के बाद आदेश में संशोधन कर सकते हैं या फिर उसे रद्द भी कर सकते हैं। प्राधिकरण के चेयरमैन का फैसला ही अंतिम होगा।
यह भी पढ़े – यूपी के रंगबाज लाइसेंसी नहीं अवैध तमंचे से जमाते हैं भौकाल आरोपी मात्र होने पर ही कैसे कार्रवाई मुद्दा ये है कि आरोपी मात्र होने पर ही उत्तर प्रदेश बुल्डोजर लेकर पहुंच जाती है। इस पर अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई मात्र सांकेतिक होती है। योगी सरकार के अधिकारियों का कहना है कि ये मात्र एक संदेश है कि सरकार और प्रशासन कानून व्यवस्था को लेकर गंभीर है। अपराध के प्रति उनका रुख कड़ा है। संपत्ति गिराने की कार्रवाई तब ही होती है, जब ये सुनिश्चित कर लिया जाता है कि निर्माण अवैध है।