2. यूपी ईस्ट और वेस्ट में बकाया वसूली का विश्लेषण
CAG रिपोर्ट के अनुसार यूपी ईस्ट क्षेत्र में ₹18,593 करोड़ रुपये और यूपी वेस्ट में ₹54,501 करोड़ रुपये की वसूली लंबित है। यूपी वेस्ट के 88 करदाताओं पर ₹660 करोड़ रुपये का बकाया है, जो औसतन ₹7.5 करोड़ प्रति करदाता है। यूपी ईस्ट क्षेत्र में 103 मामलों की जांच में प्रति करदाता ₹1.85 करोड़ रुपये बकाया पाया गया।
CAG रिपोर्ट के अनुसार यूपी ईस्ट क्षेत्र में ₹18,593 करोड़ रुपये और यूपी वेस्ट में ₹54,501 करोड़ रुपये की वसूली लंबित है। यूपी वेस्ट के 88 करदाताओं पर ₹660 करोड़ रुपये का बकाया है, जो औसतन ₹7.5 करोड़ प्रति करदाता है। यूपी ईस्ट क्षेत्र में 103 मामलों की जांच में प्रति करदाता ₹1.85 करोड़ रुपये बकाया पाया गया।
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3. प्रमुख शहरों पर केंद्रित बकायालखनऊ, नोएडा, कानपुर, मेरठ, और गाजियाबाद जैसे प्रमुख शहरों के कारोबारियों पर सबसे अधिक बकाया है। यूपी ईस्ट में 10 शीर्ष करदाता ₹128 करोड़ रुपये दबाए बैठे हैं, जबकि यूपी वेस्ट में पांच बड़े मामलों में ₹36 करोड़ रुपये का बकाया है।
4. डोजियर की कमी से वसूली में बाधा
CAG की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि विभाग के पास 38 बड़े करदाताओं का डोजियर उपलब्ध नहीं है। इनमें से यूपी ईस्ट के 20 करदाता ₹48.97 करोड़ रुपये और यूपी वेस्ट के 18 करदाता ₹170 करोड़ रुपये के बकाया के लिए जिम्मेदार हैं।
CAG की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि विभाग के पास 38 बड़े करदाताओं का डोजियर उपलब्ध नहीं है। इनमें से यूपी ईस्ट के 20 करदाता ₹48.97 करोड़ रुपये और यूपी वेस्ट के 18 करदाता ₹170 करोड़ रुपये के बकाया के लिए जिम्मेदार हैं।
5. राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में यूपी की स्थिति
CAG की जांच में सामने आया कि देश के 10,896 बड़े मामलों में ₹5.92 लाख करोड़ रुपये की राशि फंसी हुई है। यूपी का हिस्सा अन्य राज्यों जैसे पुणे रीजन, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, केरल, और बिहार की तुलना में काफी अधिक है।
CAG की जांच में सामने आया कि देश के 10,896 बड़े मामलों में ₹5.92 लाख करोड़ रुपये की राशि फंसी हुई है। यूपी का हिस्सा अन्य राज्यों जैसे पुणे रीजन, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, केरल, और बिहार की तुलना में काफी अधिक है।
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6. कर वसूली में सुधार की आवश्यकताCAG ने आयकर विभाग को बकाया करदाताओं के मामलों में तेजी लाने और प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने का सुझाव दिया है। 7. बकाया का आर्थिक प्रभाव
इतनी बड़ी राशि का बकाया राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर विकास योजनाओं में बाधा डालता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह धनराशि अगर वसूली जाती है, तो इसका इस्तेमाल इंफ्रास्ट्रक्चर और कल्याणकारी योजनाओं में किया जा सकता है।