लखनऊ

Uttar Pradesh में ₹73,094 करोड़ का टैक्स बकाया: सीएजी रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

Uttar Pradesh में आयकर विभाग के करदाताओं पर ₹73,094 करोड़ का भारी बकाया है। सीएजी रिपोर्ट के अनुसार यूपी ईस्ट और वेस्ट क्षेत्रों में कर वसूली में बड़ी लापरवाही सामने आई है। प्रमुख शहरों लखनऊ, नोएडा और कानपुर के कारोबारी सबसे बड़े बकायेदार हैं, जो आर्थिक विकास में बाधा बन रहे हैं।

लखनऊDec 26, 2024 / 04:15 pm

Ritesh Singh

लखनऊ, नोएडा और कानपुर जैसे प्रमुख शहर कर बकाया में सबसे आगे हैं

Uttar Pradesh में आयकर विभाग के करदाताओं पर ₹73,094 करोड़ रुपये का भारी बकाया है। यह आंकड़ा पूरे देश में आयकर विभाग की ₹17.90 लाख करोड़ रुपये की लंबित वसूली का 4% है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि केवल 192 सैंपल मामलों की जांच में ही ₹851 करोड़ रुपये का बकाया पाया गया। इनमें से 15 प्रमुख उद्योगपतियों पर ₹164 करोड़ रुपये बकाया है।
2. यूपी ईस्ट और वेस्ट में बकाया वसूली का विश्लेषण
CAG रिपोर्ट के अनुसार यूपी ईस्ट क्षेत्र में ₹18,593 करोड़ रुपये और यूपी वेस्ट में ₹54,501 करोड़ रुपये की वसूली लंबित है। यूपी वेस्ट के 88 करदाताओं पर ₹660 करोड़ रुपये का बकाया है, जो औसतन ₹7.5 करोड़ प्रति करदाता है। यूपी ईस्ट क्षेत्र में 103 मामलों की जांच में प्रति करदाता ₹1.85 करोड़ रुपये बकाया पाया गया।
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3. प्रमुख शहरों पर केंद्रित बकाया
लखनऊ, नोएडा, कानपुर, मेरठ, और गाजियाबाद जैसे प्रमुख शहरों के कारोबारियों पर सबसे अधिक बकाया है। यूपी ईस्ट में 10 शीर्ष करदाता ₹128 करोड़ रुपये दबाए बैठे हैं, जबकि यूपी वेस्ट में पांच बड़े मामलों में ₹36 करोड़ रुपये का बकाया है।
4. डोजियर की कमी से वसूली में बाधा
CAG की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि विभाग के पास 38 बड़े करदाताओं का डोजियर उपलब्ध नहीं है। इनमें से यूपी ईस्ट के 20 करदाता ₹48.97 करोड़ रुपये और यूपी वेस्ट के 18 करदाता ₹170 करोड़ रुपये के बकाया के लिए जिम्मेदार हैं।
5. राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में यूपी की स्थिति
CAG की जांच में सामने आया कि देश के 10,896 बड़े मामलों में ₹5.92 लाख करोड़ रुपये की राशि फंसी हुई है। यूपी का हिस्सा अन्य राज्यों जैसे पुणे रीजन, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, केरल, और बिहार की तुलना में काफी अधिक है।
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6. कर वसूली में सुधार की आवश्यकता
CAG ने आयकर विभाग को बकाया करदाताओं के मामलों में तेजी लाने और प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने का सुझाव दिया है।

7. बकाया का आर्थिक प्रभाव
इतनी बड़ी राशि का बकाया राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर विकास योजनाओं में बाधा डालता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह धनराशि अगर वसूली जाती है, तो इसका इस्तेमाल इंफ्रास्ट्रक्चर और कल्याणकारी योजनाओं में किया जा सकता है।

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