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लंका के माने जाते हैं असली और सबसे बेहतर रत्न
श्रीलंका के रत्न दुनिया में सबसे अच्छी क्वालिटी के माने जाते हैं। वहां के कोरन्डम (मूंगा समूह के रत्न) और नीलम को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। पीला नीलम, नीला नीलम, माणिक्य की भी एडवांस बुकिंग रहती है। श्रीलंका से रत्न और आभूषण व्यापार 140 मिलियन डालर (करीब 1000 करोड़) से ज्यादा है। बदहाल होने के बाद रत्नों का आयात 80 फीसदी खत्म हो गया है। यूपी सराफा एसोसिएशन के सदस्य राकेश गोयल के अनुसार पुखराज की कीमत 25 फीसदी बढ़ गई है। 1500 रुपए रत्ती से 15000 रुपए रत्ती तक के पुखराज में सबसे ज्यादा महंगाई का असर है। यही हाल मूंगा, माणिक्य और पन्ना का है, जिनके दाम 150 रुपए से 700 रुपए रत्ती तक बढ़ गए हैं। नीलम में 40 फीसदी की तेजी आ गई है। बिना रेशे का 10 रत्ती का पारदर्शी नीलम एक लाख रुपए से ऊपर बिक रहा है।
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कोरोना के बाद भी रत्न बाजार में पड़ा था असर
कोरोना का असर रत्नों पर भी पड़ा था। रत्न कारोबारी डॉ सौरभ शुक्ला ने बताया कि संकट से घिरे लोगों का रत्नों में भरोसा कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। ऐसे लोग ज्योतिषियों की सलाह से रत्न धारण करते हैं। कोरोना ने सबसे ज्यादा फेफड़े, दिल, किडनी, लिवर, गले और ब्लैक फंगस के रूप में आंखों पर हमला किया। ज्योतिषी इन अंगों की बीमारियों के लिए अलग-अलग रत्न पहनने का सुझाव देते हैं। पहले एक महीने में 70 से 85 माणिक तक बिकते थे। अब यह संख्या 250 से ऊपर पहुंच गई है। तनाव से उबरने के लिए मोती की बिक्री जबर्दस्त बढ़ गई।
लंका के माने जाते हैं असली और सबसे बेहतर रत्न
श्रीलंका के रत्न दुनिया में सबसे अच्छी क्वालिटी के माने जाते हैं। वहां के कोरन्डम (मूंगा समूह के रत्न) और नीलम को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। पीला नीलम, नीला नीलम, माणिक्य की भी एडवांस बुकिंग रहती है। श्रीलंका से रत्न और आभूषण व्यापार 140 मिलियन डालर (करीब 1000 करोड़) से ज्यादा है। बदहाल होने के बाद रत्नों का आयात 80 फीसदी खत्म हो गया है। यूपी सराफा एसोसिएशन के सदस्य राकेश गोयल के अनुसार पुखराज की कीमत 25 फीसदी बढ़ गई है। 1500 रुपए रत्ती से 15000 रुपए रत्ती तक के पुखराज में सबसे ज्यादा महंगाई का असर है। यही हाल मूंगा, माणिक्य और पन्ना का है, जिनके दाम 150 रुपए से 700 रुपए रत्ती तक बढ़ गए हैं। नीलम में 40 फीसदी की तेजी आ गई है। बिना रेशे का 10 रत्ती का पारदर्शी नीलम एक लाख रुपए से ऊपर बिक रहा है।
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कोरोना के बाद भी रत्न बाजार में पड़ा था असर
कोरोना का असर रत्नों पर भी पड़ा था। रत्न कारोबारी डॉ सौरभ शुक्ला ने बताया कि संकट से घिरे लोगों का रत्नों में भरोसा कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। ऐसे लोग ज्योतिषियों की सलाह से रत्न धारण करते हैं। कोरोना ने सबसे ज्यादा फेफड़े, दिल, किडनी, लिवर, गले और ब्लैक फंगस के रूप में आंखों पर हमला किया। ज्योतिषी इन अंगों की बीमारियों के लिए अलग-अलग रत्न पहनने का सुझाव देते हैं। पहले एक महीने में 70 से 85 माणिक तक बिकते थे। अब यह संख्या 250 से ऊपर पहुंच गई है। तनाव से उबरने के लिए मोती की बिक्री जबर्दस्त बढ़ गई।