लखनऊ

‘मैं घर में सब से छोटा था मिरे हिस्से में मां आई’, मां की दुआ ओढ़े ICU में जिंदगी की जंग लड़ रहे मुनव्वर राना

Munawwar Rana: मशहूर शायर मुनव्वर राणा (Munawwar Rana) की तबीयत बिगड़ गई है। सुमैया ने वीडियो के जरिए पिता की सेहत खराब होने के बारे में लोगों को बताया है।

लखनऊMay 25, 2023 / 12:22 pm

Krishna Pandey

मुनव्वर राणा (Munawwar Rana) को अपोलो हॉस्पिटल के आईसीयू में भर्ती करवाया गया है।

किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई, मैं घर में सब से छोटा था मिरे हिस्से में माँ आई...मशहूर शायर मुनव्वर राणा ‌कि लिखी मां पर ये बातें आज उन्हीं पर फिट बैठ रही हैं। छू नहीं सकती मौत भी आसानी से इसको…यह बच्चा अभी मां की दुआ ओढ़े हुए है। मां पर लिखने वाला यह ‘बच्चा’ आज अस्पताल में भर्ती है। अगले ‌3 दिन उनके लिए बहुत ही नाजुक है। दुआओं की जरूरत है, सुना है दुआएं कबूल होती हैं…
मशहूर शायर मुनव्वर राणा (Munawwar Rana) की तबीयत बिगड़ गई है। फिलहाल उन्हें लखनऊ के अपोलो हॉस्पिटल के आईसीयू में भर्ती करवाया गया है। बताया जा रहा है कि राना की हालत गंभीर बनी हुई है। इस बारे में उनकी बेटी सुमैया राना ने जानकारी दी है। सुमैया ने वीडियो के जरिए पिता की सेहत खराब होने के बारे में लोगों को बताया है। बेटी सुमैया राणा ने रात साढ़े 3 बजे के करीब वीडियो जारी कर राणा के बारे में जानकारी दी। डॉक्टर्स के अनुसार अगले 72 घंटे का वक्त मुनव्वर के लिए काफी अहम साबित होगा।
बेटी सुमैया ने बताया कि डायलिसिस के दौरान पेट में दर्द था
मुनव्वर की तबीयत बीते कुछ दिनों से खराब है। बेटी सुमैया ने बताया कि डायलिसिस के दौरान पेट में दर्द था तो डॉक्टर ने एडमिट कर लिया। सीटी स्कैन में गॉल ब्लैडर में समस्या की बात सामने आई। सर्जरी के बाद भी समस्या बनी रही। तबीयत में सुधार नहीं होने की स्थिति में राणा वेंटिलेटर सपॉर्ट सिस्टम पर चले गए हैं। डॉक्टरों की टीम लगातार उनके स्वास्थ्य पर निगरानी बनाए हुए हैं।
काफी समय से चल रहे हैं बीमार
पिछले साल भी उनकी तबीयत बिगड़ गई थी जिसके बाद उन्हें लखनऊ के एसजीपीजीआई (SGPGI) में एडमिट कराया गया था। राणा किडनी की परेशानी की वजह से डायलिसिस पर चल रहे हैं।
जानिए कौन हैं राणा
मुनव्वर राणा प्रसिद्ध शायर और कवि हैं, उर्दू के अलावा हिंदी और अवधी भाषाओं में लिखते हैं। मुनव्वर ने कई अलग शैलियों में अपनी गजलें प्रकाशित की हैं। उनको उर्दू साहित्य के लिए 2014 का साहित्य अकादमी पुरस्कार (Sahitya Akademi Award) और 2012 में शहीद शोध संस्थान द्वारा माटी रतन सम्मान से सम्मानित किया गया था। उन्होंने लगभग एक साल बाद अकादमी पुरस्कार लौटा दिया था। साथ ही बढ़ती असहिष्णुता के कारण कभी भी सरकारी पुरस्कार स्वीकार नहीं करने की कसम खाई थी।

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