बुंदेलखंड के हमीरपुर जिले में यमुना और बेतवा नदी खतरे के निशान पर होने से सैकड़ों गांव और हजारों लोगों के आशियाने को रेत की ढेर की तरह मिटाकर बेघर कर दिया है। जिले में यमुना नदी खतरे के निशान के दो मीटर ऊपर बहने से कई गांव अपना वजूद खोने की कगार में पहुंच गये हैं। सैकड़ों घर मिटटी की कटान के साथ नदी में समा गये हैं। सैकड़ों एकड़ फसलों को भी पानी निगल गया है। बाढ़ से परेशान मजबूरी में लोग राठ मार्ग के हाइवे में अस्थाई झोपड़ी बनाकर रहने को मजबूर हैं, जो अब दाने दाने को तरसते दिखाई देने लगे हैं।
नदियों किनारे दाह संस्कार रुका प्रयागराज के फाफामऊ में गंगा और नैनी में यमुना का जलस्तर काफी बढ़ गया है। जलस्तर बढ़ने से नदियों के किनारे दाह संस्कार करने में लोगों को दिक्कतें आ रही हैं। सड़कों पर ही दाह संस्कार किया जा रहा है। यमुना का जलस्तर खतरे के निशान 103.632 है।
घरों में घुसा वरुणा नदी का पानी प्रयागराज, हमीरपुर की तरह वाराणसी में भी भी नदी उफान पर है। बुधवार को गंगा के जलस्तर में प्रति घंटे दो सेंटीमीटर की कमी दर्ज की गई थी लेकिन गुरुवार को सात सेमी प्रति घंटे का बढ़ाव दर्ज किया गया। गंगा के पलट प्रवाह से वरुणा किनारे रहने वालों की दिक्कतें बढ़ गई है। काफी घरों में पानी घुसने की वजह से लोगों ने पलायन करना शुरू कर दिया है।
टापू बने गांव जालौन में सैकड़ों गांव टापू में तब्दील हो चुके हैं। कई गांवों का संपर्क मार्ग टूट गया है। बाढ़ से कुठौंद, कालपी और रामपुरा क्षेत्र के कई गांव पूरी तरह से डूब गए हैं।