साल 2019 लोकसभा चुनाव में राजभर बिरादरी का वोट भाजपा से कटा था। सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने लोकसभा की सीटों पर प्रत्याशी उतार कर इस बिरादरी के वोट को अपने पक्ष में किया था। अब राजभर ने 10 छोटे दलों को जोड़ कर भागीदारी संकल्प मोर्चा बना रखा है। उधर, भाजपा ने 2022 के चुनाव में 350 सीटों पर जीत दर्ज करने और 50 फीसदी से अधिक वोट बैंक पर कब्जा बनाने का लक्ष्य बनाया है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए पिछड़ा और अति पिछड़ा वोट बैंक को साधने की रणनीति बनाई है। इसके लिए यूपी के मेरठ से ओबीसी सम्मेलन की शुरुआत कर दी है। 18 सितंबर को अयोध्या में ओबीसी मोर्चा की एक बड़ी कार्यसमिति कराने की तैयारी की गई है, जिसमें यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ, स्वतंत्रदेव सिंह, भूपेन्द्र यादव समेत केंद्र के तमाम ओबीसी मंत्री शामिल होगें।
हर राजनीतिक दल जीत के लिए बना रहा है प्लानिंग यूपी की सियासत में ओबीसी समुदाय अहम भूमिका में माना जाता है। यही वजह है कि सभी दलों की निगाहें इस वोट बैंक पर रहती है। ओबीसी में शामिल बंजारा, बारी, बियार, नट, कुजड़ा, नायक, कहार, गोंड, सविता, धीवर, आरख जैसी बहुत कम आबादी वाली जातियों की गोलबंदी भी चुनावी नतीजों को प्रभावित करने की क्षमता रखती हैं। यूपी में ओबीसी समाज अपना वोट जाति के आधार पर करता रहा है। सपा और बीजेपी अति पिछड़ी जातियों में शामिल अलग-अलग जातियों को साधने के लिए उसी समाज के नेता को मोर्चे पर भी लगा रखा है। ओबीसी वोट बैंक का सबसे बड़ा हिस्सा यानी यादव सपा के बड़े समर्थक हैं।