लखनऊ

यूपी विधान परिषद में 7 जुलाई से कांग्रेस साफ, नहीं होगा कोई प्रतिनिधि

Congress Finish यूपी विधान परिषद में 6 जुलाई तक कांग्रेस का प्रतिनिधित्व बरकरार रहेगा। पर अगले दिन 7 जुलाई को यूपी के उच्च सदन में देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का कोई भी सदस्य प्रतिनिधित्व नहीं करेगा। मतलब उच्च सदन में जब भी किसी मुद्दे पर बहस या रायशुमारी होगी तो कांग्रेस का नाम कहीं दर्ज नहीं होगा।

लखनऊJun 11, 2022 / 05:22 pm

Sanjay Kumar Srivastava

स्थानीय स्तर पर प्रत्याशी तय

यूपी विधान परिषद में 6 जुलाई तक कांग्रेस का प्रतिनिधित्व बरकरार रहेगा। पर अगले दिन 7 जुलाई को यूपी के उच्च सदन में देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का कोई भी सदस्य प्रतिनिधित्व नहीं करेगा। मतलब उच्च सदन में जब भी किसी मुद्दे पर बहस या रायशुमारी होगी तो कांग्रेस का नाम कहीं दर्ज नहीं होगा। 7 जुलाई को यूपी विधान परिषद में कांग्रेस जीरो हो जाएगी। कांग्रेस एमएलसी दीपक सिंह का कार्यकाल 6 जुलाई को खत्म हो रहा है। इस तरह से मोतीलाल नेहरू से शुरू हुआ यह सिलसिला उनकी पांचवीं पीढ़ी के समय में खत्म हो रहा है।
अस्तित्व का संकट

यूपी में कांग्रेस अस्तित्व के संकट से जूझ रही है। कांग्रेस महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी के नेतृत्व में यूपी विधानसभा चुनाव 2022 जोरदार ढंग से लड़ने के बावजूद कांग्रेस ने सिर्फ दो सीटों पर अपना परचम लहराया। और अगर सही ढंग से कांग्रेस जनता के बीच अपने को नहीं स्थापति कर सकी तो वह दिन दूर नहीं जब यूपी विधान परिषद की तरह, यूपी विधानसभा में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व शून्य हो जाए। कांग्रेस के लिए इस वक्त यूपी सत्ता में वापसी की डगर बड़ी कठिन है।
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पहली बार जब कोई प्रतिनिधि नहीं होगा

यूपी विधान परिषद में ऐसा पहली बार होगा जब कांग्रेस का कोई प्रतिनिधि सदन में नहीं होगा। दीपक सिंह का कार्यकाल समाप्त होने के बाद यूपी का उच्च सदन कांग्रेस मुक्त हो जाएगा। यूपी में कांग्रेस का साल 1989 तक पूरी तरह वर्चस्व था। पिछले 33 साल में कांग्रेस पार्टी की इस दशा की किसी ने कल्पना तक नहीं की थी।
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विधानसभा में सिर्फ 2 विधायक

यूपी विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस महज दो सीटों पर ही सिमट गई। कांग्रेस के सिर्फ दो ही उम्मीदवार विधानसभा पहुंच पाए। महराजगंज के फरेंदा से वीरेंद्र चौधरी और रामपुर खास से आराधना मिश्रा मोना। अब कांग्रेस के सामने विधानसभा चुनाव 2027 एक बड़ी चुनौती होगी।
मोती लाल नेहरू कांग्रेस के पहले सदस्य

उत्तर प्रदेश विधान परिषद की स्थापना 5 जनवरी 1887 को हुई थी। तब 9 सदस्य थे। 1909 में सदस्य संख्या बढ़ाकर 46 कर दी गई, जिनमें गैर सरकारी सदस्यों की संख्या 26 रखी गई। इन सदस्यों में से 20 निर्वाचित और 6 मनोनीत होते थे। मोती लाल नेहरू ने 7 फरवरी 1909 को विधान परिषद की सदस्यता ली। उन्हें विधान परिषद में कांग्रेस का पहला सदस्य माना जाता है। 1920 में उन्होंने सदस्यता त्याग दी थी। तब यूपी को संयुक्त प्रांत के नाम से जाना जाता था।

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