लखनऊ

यूपी के छोटे-छोटे दल एक बार फिर से ढूंढ़ रहे ‘बड़े भाई’ को

अब लोकसभा चुनाव नजदीक आ गया है। अपनी अहमियत को भुनाने के लिए एक बार फिर से गठबंधन से टूटे कई छोटे दल अपने बड़े भाई की तलाश में जुटी हुईं हैं। इन छोटे दलों के सुप्रीमो के सुर बदले हुए दिख रहे हैं।
 
 

लखनऊAug 21, 2022 / 04:54 pm

Sanjay Kumar Srivastava

यूपी की राजनीति में छोटी पार्टियों की पूछ बढ़ती जा रही है। चाहे भाजपा हो या अन्य विपक्षी पार्टियां सभी, इन छोटे दलों को भरपूर इज्जत दे रहे हैं। पिछले कई चुनावों में इस प्रेम से पैदा हुए चुनावी रिजल्ट ने सबको फायदा पहुंचाया। अब लोकसभा चुनाव नजदीक आ गया है। अपनी अहमियत को भुनाने के लिए एक बार फिर से गठबंधन से टूटे कई छोटे दल अपने बड़े भाई की तलाश में जुटी हुईं हैं। इन छोटे दलों के सुप्रीमो के सुर बदले हुए दिख रहे हैं। जिन पर वे कभी हमला करते आज उनका गुणगान कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन के लगभग टूट जाने के साथ, ये पार्टियां एक ऐसा विकल्प चाहती हैं जो उन्हें राज्य की राजनीति में महत्व बनाए रखने में मदद करे।
भाजपा पर राजभर डाल रहे डोरे

ओम प्रकाश राजभर के नेतृत्व वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन चुनाव के बाद गठबंधन टूट गया। राजभर अब भाजपा के साथ संबंध सुधारने की कोशिश करते हुए दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने हाल के राष्ट्रपति चुनावों में राजग उम्मीदवार को वोट देकर इसकी शुरुआत की। हालांकि, भाजपा, एसबीएसपी को वापस बोर्ड में लेने के लिए राजी नहीं है। क्योंकि राजभर को अविश्वसनीय सहयोगी का तमगा मिल गया है। फिर भी, राजभर मौके देखते हुए योगी आदित्यनाथ सरकार की प्रशंसा करने से नहीं चूक रहे हैं। उन्होंने इस सफाई में कहा, अगर कोई अच्छा करता है, तो सराहना क्यों न करूं।
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कांग्रेस और शिवपाल कर सकते हैं गठबंधन

इस बीच, शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया ने भी सपा के साथ अपने रिश्ते लगभग खत्म ही कर दिए हैं। भतीजे अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल के बीच संबंध खराब हैं। मुलायम सिंह यादव लगभग सक्रिय राजनीति से बाहर हो हैं। अब चाचा-भतीजे के बीच मेल-मिलाप की संभावना बहुत कम है। शिवपाल ने कहा, मुझसे धोखा हुआ है और भारी कीमत चुकाकर मैंने सबक सीखा है। अब लोकसभा चुनाव से पहले अपनी पूरी ताकत अपने पार्टी संगठन को मजबूत करने में लगाऊंगा। बताया जा रहा है कि, अगर कांग्रेस और पीएसपीएल के विचार मिलते हैं तो पीएसपीएल, लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सकती है। पर कांग्रेस का सूबे में कोई पुरसाहाल नहीं है। छह महीने बाद भी पार्टी नेतृत्वविहीन है।
लोस चुनाव करीब आने पर आजम लेंगे फैसला

सूत्रों के अनुसार, शिवपाल यादव भी एक व्यापक मोर्चे पर विचार कर रहे हैं। जिसमें सपा के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान नेतृत्व कर रहे हैं। आजम खां, अखिलेश के नेतृत्व वाले एसपी के साथ ज्यादा सहज नहीं हैं। उनके एक करीबी नेता ने कहा कि, लोकसभा चुनाव नजदीक आने पर वह फैसला लेंगे।
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अच्छे प्रदर्शन के लिए बड़े राजनीतिक दल की जरूरत

सपा के दो अन्य पूर्व सहयोगी महान दल और जनवादी पार्टी ने एसबीएसपी और पीएसपीएल से पहले ही नाता तोड़ लिया था। पार्टी के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, हम छोटे दल हैं और हमें चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए सहयोगी के रूप में एक बड़े राजनीतिक दल की जरूरत है।
गठबंधन धर्म को बनाए रखने में सपा का विश्वास – उदयवीर सिंह

सपा के वरिष्ठ प्रवक्ता उदयवीर सिंह ने कहा, गठबंधन में मुद्दों पर चर्चा करने और उन्हें सुलझाने के तरीके हैं। सार्वजनिक रूप से लगातार बदनामी गठबंधन की भावना के लिए हानिकारक है। हम गठबंधन धर्म को बनाए रखने में विश्वास करते हैं।

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