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जुलाई माह से अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने का सिलसिला शुरू हुआ था। अगस्त में सरकार ने पहली सफलता हासिल की जब 9545.21 करोड़ रुपये का राजस्व मिला, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले लगभग 600 करोड़ रुपये ज्यादा रहा। सितंबर 2020 में पिछले वर्ष के 8443.91 करोड़ रुपये की तुलना में 890.26 करोड़ रुपये अधिक (लगभग 9334) कर राजस्व मिला है। अक्टूबर में लक्ष्य का 86.9 फीसदी राजस्व मतलब 10,672 करोड़ रुपए प्राप्त किया। वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने बताया कि इसमेंजीएसटी/वैट के जरिये 6951.52 करोड़ रुपये हासिल किए। वहीं पेट्रोलियम पदार्थों की बिक्री होने से वैट का राजस्व बढ़ा है।
जुलाई माह से अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने का सिलसिला शुरू हुआ था। अगस्त में सरकार ने पहली सफलता हासिल की जब 9545.21 करोड़ रुपये का राजस्व मिला, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले लगभग 600 करोड़ रुपये ज्यादा रहा। सितंबर 2020 में पिछले वर्ष के 8443.91 करोड़ रुपये की तुलना में 890.26 करोड़ रुपये अधिक (लगभग 9334) कर राजस्व मिला है। अक्टूबर में लक्ष्य का 86.9 फीसदी राजस्व मतलब 10,672 करोड़ रुपए प्राप्त किया। वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने बताया कि इसमेंजीएसटी/वैट के जरिये 6951.52 करोड़ रुपये हासिल किए। वहीं पेट्रोलियम पदार्थों की बिक्री होने से वैट का राजस्व बढ़ा है।
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राजस्व के घाटे को कम करने में आबकारी विभाग की सबसे बड़ी भूमिका रही है। लॉकडाउन के दौरान राशन और दवाई की दुकानों के अलावा सबसे पहले शराब की दुकानों को खोलने की ही सरकार ने अनुमति दी थी। नतीजा यह रहा लक्ष्य से ज्यादा राजस्व हासिल हुआ। अक्टूबर माह में 2250 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया जब्कि 2403.02 करोड़ रुपये हासिल हुआ।
राजस्व के घाटे को कम करने में आबकारी विभाग की सबसे बड़ी भूमिका रही है। लॉकडाउन के दौरान राशन और दवाई की दुकानों के अलावा सबसे पहले शराब की दुकानों को खोलने की ही सरकार ने अनुमति दी थी। नतीजा यह रहा लक्ष्य से ज्यादा राजस्व हासिल हुआ। अक्टूबर माह में 2250 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया जब्कि 2403.02 करोड़ रुपये हासिल हुआ।
वाहन कर अब भी कम-
प्रदेश भर में लॉकडाउन तो खुल गया, लेकिन सार्वजिनक वाहनों को पूरी क्षमता से अभी भी नहीं चलाया जा रहा। कई प्रदेशों ने अभी अंतरराज्यीय बस सेवा की अनुमति भी नहीं दी है। इसका असर राजस्व में दिखा। स्टांप व निबंधन फीस के जरिए से सरकार ने अक्टूबर में केवल 1805.79 करोड़ रुपये हालिस किए जो कि मासिक लक्ष्य का 97.1 प्रतिशत है। वाहन कर के मद में सरकार को पिछले साल के मुकाबले 73.11 करोड़ रुपये कम 580.76 करोड़ रुपये ही मिले।
प्रदेश भर में लॉकडाउन तो खुल गया, लेकिन सार्वजिनक वाहनों को पूरी क्षमता से अभी भी नहीं चलाया जा रहा। कई प्रदेशों ने अभी अंतरराज्यीय बस सेवा की अनुमति भी नहीं दी है। इसका असर राजस्व में दिखा। स्टांप व निबंधन फीस के जरिए से सरकार ने अक्टूबर में केवल 1805.79 करोड़ रुपये हालिस किए जो कि मासिक लक्ष्य का 97.1 प्रतिशत है। वाहन कर के मद में सरकार को पिछले साल के मुकाबले 73.11 करोड़ रुपये कम 580.76 करोड़ रुपये ही मिले।