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पंखे हवा कम देते हैं और आवाज ज्यादा करते हैंउन्नाव रेलवे स्टेशन पर राप्तीसागर सुपरफास्ट एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे जान मोहम्मद ने बताया कि स्लीपर क्लास के यात्रियों को भी डिब्बे के अंदर हवा नसीब नहीं होती है। अंदर लगे पंखे हवा कम देते हैं, आवाज ज्यादा करते हैं। गांधीनगर निवासी पुरुषोत्तम शुक्ला ने कहा कि जब बाहर का तापमान 50 डिग्री के आसपास हो तो कोच के अंदर रहने वाले यात्रियों के यात्रा की कल्पना करके रूह कांप जाती है। सबसे ज्यादा बुरा हाल तो बच्चों का होता है। एक और रेलयात्री अभिषेक ने बताया कि यात्रा के दौरान उनका अनुभव बहुत ही कड़वा है। स्लीपर क्लास कोच में बाहर की ताजी हवा यात्रियों को मिले इसके कोई भी उपाय नहीं किए गए, जबकि गाड़ी चलने के दौरान ठंडी ताजी हवा यात्रियों को मिले इसकी व्यवस्था रेल कोच में थोड़े से उपाय करके किए जा सकते हैं।
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देखें वीडियो… इस स्टेशन पर हर दिन आते हैं 10-12 हजार रेलयात्रीदिल्ली हावड़ा रेल मार्ग के अति महत्वपूर्ण समझे जाने वाले उत्तर प्रदेश के इटावा जंक्शन स्टेशन पर रोजाना करीब 2 दर्जन रेलगाड़िया आती और जाती हैं। एक अनुमान के मुताबिक प्रतिदिन करीब 10 से 12 हजार के आसपास रेल यात्रियों को आना-जाना लगा रहता है। इसके बावजूद पर्याप्त मात्रा में पीने का पानी उपलब्ध न होना रेल यात्रियों के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं है। यहां कहने को तो 37 वाटर बूथ लगे हैं, लेकिन इनमें से 20 तो ऐसे हैं जिनमें टोटियां ही नहीं लगी है। रेल विभाग की तरफ से स्टेशन पर 9 वाटर कूलर लगाए गए हैं, जिनमें से तीन वाटर कूलर खराब हैं। इनको दुरस्त करने के लिए स्थानीय रेलवे की ओर से कई बार अपील की, लेकिन अफसरों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। इटावा रेलवे स्टेशन पर अगर समाज सेवी संस्थाओं की ओर से पीने के पानी का इंतजाम रेल यात्रियों के लिए न किया जाए तो भीषण गर्मी में रेलयात्रियों की पीने का पानी भी नहीं मिले।
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