राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -4 (एनएफएचएस -4) (2015-16) के अनुसार, उत्तर प्रदेश में शहरी क्षेत्रों में टीएफआर 2.1 था जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के में 3.0 था। एनएफएचएस के आंकड़ों से पता चलता है कि 2006 से 2016 के बीच, राज्य की कुल प्रजनन दर में प्रति महिला 1.1 बच्चों की गिरावट आई थी। 2005-06 में राज्य की कुल प्रजनन दर 3.8 थी। तब शहरी क्षेत्रों में यह 2.95 थी, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 4.13 थी। वहीं 1998-99 में यूपी की कुल प्रजनन दर 4.06 थी। उस दौरान राज्य के शहरी हिस्सों में टीएफआर 2.91 जबकि ग्रामीण इलाकों में 4.39 था। भारत में अब तक एनएफएचएस के चार दौर (1992–93, 1998–99, 2005–06, 2015-16) पूरे हो चुके हैं जबकि पांचवां दौर (2019-20) अभी भी चल रहा है।
पिछले कुछ वर्षों में यूपी में विवाहित महिलाओं के बीच गर्भनिरोधक प्रसार दर (सीपीआर) में वृद्धि हुई है। 2016 तक, यह 46 प्रतिशत था जो 1999 (27 प्रतिशत) से 1.5 गुना अधिक था। ग्रामीण क्षेत्रों में सीपीआर (42 प्रतिशत) शहरी क्षेत्रों (56 प्रतिशत) की तुलना में काफी कम है। आधुनिक परिवार नियोजन विधियों का उपयोग (32 प्रतिशत) एनएफएचएस-3 (29 प्रतिशत) के स्तर से थोड़ा बढ़ गया है। विशेष रूप से गर्भनिरोधक विधि के रूप में महिला नसबंदी उत्तर प्रदेश में एनएफएचएस -3 और एनएफएचएस -4 के बीच बदली नहीं हैं। वह 17 प्रतिशत पर स्थिर हैं। हालांकि किसी भी विधि के लिए गर्भनिरोधक का प्रचलन शिक्षा द्वारा बहुत अलग नहीं होता है, लेकिन कम शिक्षित महिलाओं की तुलना में उच्च शिक्षित महिलाओं में आधुनिक तरीकों का उपयोग अधिक होने की संभावना रहती है।
इसके विपरीत, कम से कम 12 साल की स्कूली शिक्षा (7 प्रतिशत) वाली महिलाओं की तुलना में बिना स्कूली शिक्षा वाली महिलाओं की नसबंदी (22 प्रतिशत) होने की संभावना अधिक होती है। साथ ही, राज्य में महिलाओं द्वारा पहले से ही एक बेटा होने पर गर्भनिरोधक का उपयोग करने की अधिक संभावना है। एनएफएचएस-4 के अनुसार, दो बच्चों वाली महिलाओं में से 54 प्रतिशत कम से कम एक बेटे के साथ परिवार नियोजन की विधि का उपयोग करती हैं, जबकि दो बेटियों वाली केवल 34 प्रतिशत महिलाएं ही परिवार नियोजन का इस्तेमाल करती थी।
जिलों के लिहाज से गौतमबुद्धनगर में सीपीआर सबसे ज्यादा 75 फीसदी है। गाजियाबाद, झांसी, मेरठ, बरेली और आगरा जैसे जिलों में सीपीआर 60 फीसदी से ऊपर है। वहीं, बलरामपुर में सबसे कम सीपीआर 2.7 फीसदी है। गोंडा, बहराइच और श्रावस्ती में यह 15 फीसदी से भी कम है।