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सावरकर ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपनी अहम भूमिका निभाई थी और ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ निरंतर संघर्ष किया। वह अंडमान निकोबार के कालापानी स्थित सेलुलर जेल में लगभग 9-10 वर्षों तक सजा काटने के बाद जिंदा बाहर निकले थे, जबकि उस जेल से बचकर बाहर आने वाले लोग बहुत कम थे। इस पर आईपी सिंह ने अपने बयान में कहा कि आजकल के राजनेता अगर किसी छोटी सी सजा के बाद जेल में कुछ महीने बिताते हैं, तो वह अपने आपको शहीद समझने लगते हैं। वीर सावरकर की साहसिकता और बलिदान
वीर सावरकर भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं। उनका संघर्ष और बलिदान हमेशा याद किया जाएगा। कालापानी के जेल में सावरकर ने न केवल ब्रिटिश सरकार की यातनाओं का सामना किया, बल्कि वहां रहते हुए भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए विचार भी दिए। उनका यह संघर्ष आज भी देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है।
वीर सावरकर भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं। उनका संघर्ष और बलिदान हमेशा याद किया जाएगा। कालापानी के जेल में सावरकर ने न केवल ब्रिटिश सरकार की यातनाओं का सामना किया, बल्कि वहां रहते हुए भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए विचार भी दिए। उनका यह संघर्ष आज भी देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है।
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सावरकर को जेल में रहने के दौरान कई शारीरिक और मानसिक यातनाओं का सामना करना पड़ा था, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। वह एक सच्चे देशभक्त थे जिन्होंने अपना जीवन भारत की स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर दिया। यह समझना जरूरी है कि सावरकर का योगदान केवल एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में नहीं, बल्कि भारतीय समाज के लिए उनके द्वारा दिए गए विचारों के कारण भी महत्वपूर्ण है। आईपी सिंह का बयान और राजनीति में इस पर मंथन
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता आईपी सिंह का वीर सावरकर पर यह बयान अपने आप में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना है, क्योंकि इससे पहले सावरकर पर कई तरह की टिप्पणियां की गई थीं। कुछ लोग उन्हें देशद्रोही मानते हैं, जबकि कई लोग उन्हें स्वतंत्रता संग्राम का नायक मानते हैं। इस विवादास्पद मुद्दे पर आईपी सिंह ने अपने बयान से यह स्पष्ट किया कि सावरकर के योगदान को लेकर केवल अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करना राजनीतिक सौजन्यता के खिलाफ है।आईपी सिंह ने कहा, “राजनीतिक दलों के नेता अपनी महत्वाकांक्षाओं के चलते कभी-कभी वीर सावरकर जैसी शख्सियत को निशाना बनाते हैं, लेकिन हमें यह समझना होगा कि उनकी त्याग और बलिदान के बिना आज हमें स्वतंत्रता का सुख नहीं मिलता।”
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता आईपी सिंह का वीर सावरकर पर यह बयान अपने आप में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना है, क्योंकि इससे पहले सावरकर पर कई तरह की टिप्पणियां की गई थीं। कुछ लोग उन्हें देशद्रोही मानते हैं, जबकि कई लोग उन्हें स्वतंत्रता संग्राम का नायक मानते हैं। इस विवादास्पद मुद्दे पर आईपी सिंह ने अपने बयान से यह स्पष्ट किया कि सावरकर के योगदान को लेकर केवल अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करना राजनीतिक सौजन्यता के खिलाफ है।आईपी सिंह ने कहा, “राजनीतिक दलों के नेता अपनी महत्वाकांक्षाओं के चलते कभी-कभी वीर सावरकर जैसी शख्सियत को निशाना बनाते हैं, लेकिन हमें यह समझना होगा कि उनकी त्याग और बलिदान के बिना आज हमें स्वतंत्रता का सुख नहीं मिलता।”
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उन्होंने यह भी कहा कि आज के राजनेताओं को अपने छोटे-छोटे मामलों को राष्ट्रीय मसलों से जोड़ने के बजाय सच्चे देशभक्तों के योगदान को सम्मान देना चाहिए। उनके अनुसार, जो लोग कालापानी के संघर्ष का अनुभव नहीं कर सके, वे आज के समय में अपने छोटे-मोटे मामलों को शहादत के रूप में पेश करने की कोशिश करते हैं।सावरकर के योगदान पर चर्चा
वीर सावरकर का जीवन एक प्रेरणा है। उनका सबसे बड़ा योगदान यह था कि उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए संघर्ष किया और विदेशी शासन के खिलाफ अपनी आवाज उठाई। उनके द्वारा लिखा गया “The History of the First War of Indian Independence” भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक महत्वपूर्ण पुस्तक मानी जाती है। इस पुस्तक में उन्होंने 1857 के विद्रोह को स्वतंत्रता संग्राम के रूप में प्रस्तुत किया, जिसे ब्रिटिश सरकार ने पहले एक ‘विद्रोह’ के तौर पर देखा था।उनकी जीवन यात्रा में अनेक उतार-चढ़ाव आए, लेकिन उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को सशक्त बनाने के लिए अपने विचारों और कार्यों से जो योगदान दिया, वह उन्हें भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाता है।