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पल्लवी पटेल ने लगाए 50 करोड़ के घोटाले के आरोप
धरने के दौरान पल्लवी पटेल ने कहा कि प्राविधिक शिक्षा विभाग में हर साल 50 करोड़ से अधिक का अतिरिक्त राजकीय भार पड़ा है। उन्होंने दावा किया कि प्रोमोशन के लिए प्रत्येक व्यक्ति से 25 लाख रुपए तक की रिश्वत ली गई है। अपने आरोपों को प्रमाणित करने के लिए उन्होंने सभी साक्ष्य सदन के पटल पर रखने का वादा किया। उन्होंने कहा, “जब चोर पकड़ा जाता है, तब चोरी पकड़े जाने के बाद विधवा विलाप होता है।” सीबीआई जांच के लिए तैयार हैं आशीष पटेल
दूसरी ओर, कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल ने सोशल मीडिया पर अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि प्राविधिक शिक्षा विभाग में प्रोमोशन प्रमुख सचिव एम देवराज की अध्यक्षता में बनी कमेटी की संस्तुति के बाद किए गए हैं। साथ ही उन्होंने मामले की सीबीआई जांच कराने की बात भी कही।
दूसरी ओर, कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल ने सोशल मीडिया पर अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि प्राविधिक शिक्षा विभाग में प्रोमोशन प्रमुख सचिव एम देवराज की अध्यक्षता में बनी कमेटी की संस्तुति के बाद किए गए हैं। साथ ही उन्होंने मामले की सीबीआई जांच कराने की बात भी कही।
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धरना और सदन में गूंजने वाले मुद्देपल्लवी पटेल के इस धरने से उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में हंगामे की संभावना बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि सरकार को सदन में आकर इन मुद्दों पर स्पष्ट जवाब देना चाहिए। उनका कहना है कि “यह सभी साक्ष्य मैं सदन के पटल पर रखूंगी और जनता को सच्चाई से अवगत कराऊंगी।” विधानसभा सत्र के दौरान पिछड़े वर्गों की सौदेबाजी और भ्रष्टाचार जैसे गंभीर मुद्दों को लेकर विपक्ष भी आक्रामक रुख अपनाने वाला है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और विवाद का असर
अपना दल (कमेरावादी) और भाजपा के बीच पहले से ही तनाव चल रहा है, और यह विवाद इसे और बढ़ा सकता है। पल्लवी पटेल के आरोपों और आशीष पटेल द्वारा सीबीआई जांच की मांग ने इस प्रकरण को और पेचीदा बना दिया है। आगामी दिनों में यह मामला प्रदेश की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन सकता है।
अपना दल (कमेरावादी) और भाजपा के बीच पहले से ही तनाव चल रहा है, और यह विवाद इसे और बढ़ा सकता है। पल्लवी पटेल के आरोपों और आशीष पटेल द्वारा सीबीआई जांच की मांग ने इस प्रकरण को और पेचीदा बना दिया है। आगामी दिनों में यह मामला प्रदेश की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन सकता है।
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पल्लवी पटेल द्वारा उठाए गए मुद्दे न केवल प्राविधिक शिक्षा विभाग में कथित भ्रष्टाचार के बारे में हैं, बल्कि यह पिछड़े वर्गों के अधिकारों और उनके भविष्य के साथ किए गए समझौतों पर भी सवाल खड़े करते हैं। इस मामले में अगर सीबीआई जांच होती है, तो यह न केवल सच्चाई उजागर करेगा बल्कि प्रदेश की राजनीति में नई दिशा देगा।