शिक्षाविदें का मानना है कि पुलिस व्यवस्था का स्वरूप समाज में अपराध होने के उपरांत मात्र दोषी को दंडित करने का नहीं, बल्कि नागरिक अव्यवस्था फैलने से बचाने के लिए है। मौजूदा व्यवस्था में अपराधों से बचने के लिए पूर्व प्रयास न के बराबर रहे हैं। अपराध घटित होने के बाद केवल कानूनी जांच एवं आपराधिक आपातकाल के लिए कानून का लागू करना ऐसी मानसिक विकृतियों का समाधान नहीं है। नागरिक अव्यवस्था को बचाने के लिए जरूरी है कि युवाओं को महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों को न करने और अपराध करने पर मिलने वाली सजा के बारे में जरूर बताया जाएगा।
मानसिक विकृति को दूर करना मुख्य उद्देश्य
उत्तर प्रदेश के दोनों मंडलों में मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, शामली, हापुड़, बागपत और गौतमबुद्धनगर के नौ जिले हैं। जिनके 18 सरकारी, 50 अशासकीय अनुदानित और 1002 स्व वित्त पोषित महाविद्यलयों में करीब साढ़े तीन लाख छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी डॉ. आरके गुप्ता ने बताया कि इस मुहिम से महिलाओं के प्रति होने वाले जघन्य अपराधों में शून्यता आ सकती है। मानसिक विकृति को दूर कर समाज में सकारात्मक प्रभाव डालने में यह कदम काफी प्रभावी साबित होगा।
छात्रों के जरिए समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश
उत्तर प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्ष विमला बाथम का कहना है कि पुलिस कुछ नहीं कर रही, यह सही नहीं हैे लेकिन जघन्य अपराध होने के उपरांत मिलने वाले पीड़ादायक दंड की जानकारी होने से निश्चित सुधार आएगा। इससे महिलाओं समेत अन्य तरह के अपराधों में कमी आएगी। साथ ही यह मुहिम छात्रों के जरिए समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में भी सहायक होगी।