डीजीपी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में साइबर क्राइम की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। वर्ष 2018 में साइबर अपराध से सम्बंधित 6589 केस दर्ज किए गए। इसमें सबसे अधिक मामले लखनऊ के हैं। राजधानी में साइबर क्राइम के 1036 केस दर्ज किए गए। इन अपराधों में सबसे अधिक मामले ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) पूछकर ट्रांजेक्शन करने के हैं। इसके अलावा सोशल मीडिया पर फेक आईडी बनाकर लड़कियों को परेशान करने और धोखाधड़ी के कई मामले सामने आये हैं।
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डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि साइबर क्राइम की घटनाओं से निपटने के लिए ही साइबर ट्रेनिंग लैब की स्थापना की गई है। भविष्य में इसका और विस्तार किया जाएगा। साथ ही आने वाले दिनों में स्कूल और कालेजों में अवेयरनेस प्रोग्राम चलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि साइबर अपराध हत्या, डकैती और लूट जैसा ही संगीन अपराध है। लेकिन इस क्राइम में अपराधी अज्ञात होता है, ट्रेनिंग के बाद पुलिस टीम काफी हद तक साइबर क्राइम पर अंकुश लगाने में सफल रहेगी। उन्होंने बताया कि कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी फंड से तीन से चार महीने में नोएडा में वृहद साइबर रिसर्च सेंटर बनाने पर विचार किया जा रहा है। लैब में मिलेगी यह ट्रेनिंग
एसपी साइबर क्राइम सुशील घुले ने की मानें तो आजकल के अपराध में मोबाइल और इंटरनेट का इस्तेमाल जरूर होता है। कई बार सुबूत मिटाने के लिए अपराधी मोबाइल को फार्मेट कर देते हैं या फिर सम्बंधित फाइल ही डिलीट कर देते हैं। साइबर ट्रेनिंग लैब कोर्स में बताया जाएगा कि क्राइम से जुड़े साक्ष्य कैसे जुटाने हैं और फिर उसे किस तरह से हार्ड डिस्क, कंप्यूटर, लैपटॉप में सुरक्षित रखना है। सीसीटीवी एनालिसिस के लिए अपडेटेड सॉफ्टवेयर भी खरीदे गए हैं। साथ ही लैब में मोबाइल, स्मार्टफोन डेटा रिकवरी, पासवर्ड रिकवरी के विशेषज्ञों की टीम भी तैयार की जाएगी। उन्होंने बताया कि लैब में प्रशिक्षण के बाद थानों के मुंशी और थाना प्रभारी यह समझ सकेंगे कि शिकायतकर्ता का नेचर कैसा है।
एसपी साइबर क्राइम सुशील घुले ने की मानें तो आजकल के अपराध में मोबाइल और इंटरनेट का इस्तेमाल जरूर होता है। कई बार सुबूत मिटाने के लिए अपराधी मोबाइल को फार्मेट कर देते हैं या फिर सम्बंधित फाइल ही डिलीट कर देते हैं। साइबर ट्रेनिंग लैब कोर्स में बताया जाएगा कि क्राइम से जुड़े साक्ष्य कैसे जुटाने हैं और फिर उसे किस तरह से हार्ड डिस्क, कंप्यूटर, लैपटॉप में सुरक्षित रखना है। सीसीटीवी एनालिसिस के लिए अपडेटेड सॉफ्टवेयर भी खरीदे गए हैं। साथ ही लैब में मोबाइल, स्मार्टफोन डेटा रिकवरी, पासवर्ड रिकवरी के विशेषज्ञों की टीम भी तैयार की जाएगी। उन्होंने बताया कि लैब में प्रशिक्षण के बाद थानों के मुंशी और थाना प्रभारी यह समझ सकेंगे कि शिकायतकर्ता का नेचर कैसा है।