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लखनऊ

अजब-गजब: चुनाव जीतने के लिए कहीं ब्रह्मचारी बन रहे दूल्हा तो कहीं शादीशुदा कर रहे दूसरी शादी

– चुनाव जीतने को ब्रह्मचारी भी कर रहे शादी- पहली पत्नी के होते हुए भी प्रत्याशी कर रहे दूसरी शादी

लखनऊApr 09, 2021 / 04:04 pm

Karishma Lalwani

अजब-गजब: चुनाव जीतने के लिए कहीं ब्रहम्चारी बन रहे दूल्हा तो कहीं शादीशुदा कर रहे दूसरी शादी

अजब-गजब: चुनाव जीतने के लिए कहीं ब्रहम्चारी बन रहे दूल्हा तो कहीं शादीशुदा कर रहे दूसरी शादी

लखनऊ. पंचायत चुनाव (Panchayat Chunav) के नामंकन की शुरुआत होने के साथ ही अजब-गजब किस्से भी सामने आ रहे हैं। उम्मीदवार किसी भी तरह चुनाव जीतना चाहते हैं। इसके लिए वे हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। कोई कुंवारे रहने की कसम तोड़ते हुए शादी कर ले रहा है, तो कोई चुनाव लड़ने के लिए दूसरी शादी कर रहा है। उत्तर प्रदेश के चुनावी किस्सों में इस तरह के मामले सामने आए हैं। बलिया में एक व्यक्ति ने चुनाव लड़ने के लिए आजीवन ब्रहाचार्य का पालन करने का व्रत तोड़ दिया और शादी रचा ली। मामाला मुरली छपरा ब्लॉक के शिवपुर करना छपरा गांव का है जहां आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प रखने वाले शख्स हाथी सिंह ने ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ने के लिए शादी रचा ली। शख्स ने शादी के लिए किसी मुहूर्त का इंतजार भी नहीं किया और शादी कर डाली। बलिया की यह शादी काफी चर्चा में है।
पत्नी चुनावी मैदान में

हाथी सिंह ने पत्नी को चुनावी मैदान में उतारा है। दरअसल, गांव की प्रधान सीट आरक्षित हो गई थी जिसके बाद युवक ने आनन-फानन में यह कदम उठाया और पंचायत चुनाव के लिए शादी कर अपनी पत्नी को उम्मीदवार बना दिया। हाथी सिंह लंबे समय से सामाजिक कार्यों में भागीदारी रहे हैं। उन्हें समाजसेवा पसंद है और इसी के चलते उन्होंने विवाह नहीं करने का संकल्प लिया था।
अजब-गजब: चुनाव जीतने के लिए कहीं ब्रहम्चारी बन रहे दूल्हा तो कहीं शादीशुदा कर रहे दूसरी शादी
चुनाव के लिए पिछड़ा वर्ग की महिला से निकाह

उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में चुनाव जीतने के लिए पिछड़ा वर्ग की महिला से एक व्यक्ति का निकाह करना चर्चा का विषय बन गया है। बीते दिनों फर्रुखाबाद के एक इलाके में ग्राम पंचायत की सीट आरक्षित हुई तो निवर्तमान प्रधान पुत्र ने पिछड़ा वर्ग की महिला से झट पट निकाह कर डाला। दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य सरकार एवं राज्य चुनाव आयोग इस चुनाव के लिए 2015 को आधार वर्ष मानकर आरक्षण की व्यवस्था करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सरकार व आयोग को दस दिन का और समय भी प्रदान किया है। इसके अलावा 25 मई तक समस्त चुनावी प्रकिया पूरी करने का आदेश दिया है।
पंचायत चुनाव को लेकर आरक्षण प्रक्रिया के बाद जैसे ही घोषणा हुई तो सीट पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित कर दी गई। इस पर ब्लॉक क्षेत्र की एक ग्राम पंचायत में निवर्तमान प्रधान के पुत्र ने चुनाव लड़ने के लिए पहली पत्नी के होते हुए भी पड़ोसी जिले की पिछड़ा वर्ग की एक महिला से निकाह कर लिया। यह बात उसने अपनी पत्नी के साथ-साथ घर में किसी को भी नहीं बताई। लोगों के बीच यह शादी चर्चा में रही।
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