सियासी सूत्रों के मानें तो खुद की अनदेखी की बात कहते हुए अपर्णा ने लखनऊ मेयर सीट के लिए टिकट की जुगत लगाना शुरू कर दिया है। अपर्णा अपने जेठ अखिलेश यादव से बगावत कर भाजपा ज्वाइन करने और पार्टी के लिए प्रचार का हवाला देते हुए लखनऊ मेयर का टिकट चाहती हैं।
सामने सबसे बड़ी चुनौती मौजूदा मेयर
लखनऊ की मेयर इस समय संयुक्ता भाटिया हैं। संयुक्ता की ना सिर्फ भाजपा बल्कि संघ में भी तगड़ी पकड़ मानी जाती है। सीट महिला में जाने के बाद उनको फिर से टिकट मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। अपर्णा के सामने सबसे बड़ी चुनौती संयुक्ता ही हैं।
लखनऊ की मेयर इस समय संयुक्ता भाटिया हैं। संयुक्ता की ना सिर्फ भाजपा बल्कि संघ में भी तगड़ी पकड़ मानी जाती है। सीट महिला में जाने के बाद उनको फिर से टिकट मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। अपर्णा के सामने सबसे बड़ी चुनौती संयुक्ता ही हैं।
लखनऊ मेयर सीट भाजपा के लिए एकदम सेफ
लखनऊ नगर निगम बीजेपी की सेफ सीट मानी जाती है। लंबे समय से निगम पर भाजपा का कब्जा है। ऐसे में भाजपा से टिकट होना ही मेयर बनने की गारंटी की तरह देखा जा रहा है।
लखनऊ नगर निगम बीजेपी की सेफ सीट मानी जाती है। लंबे समय से निगम पर भाजपा का कब्जा है। ऐसे में भाजपा से टिकट होना ही मेयर बनने की गारंटी की तरह देखा जा रहा है।
अपर्णा का क्या होगा?
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के छोटे भाई प्रतीक की पत्नी अपर्णा यादव ने 2022 विधानसभा चुनाव से पहले काफी जोरशोर से भाजपा ज्वाइन की थी। उस दौरान जेपी नड्डा, योगी आदित्यनाथ से लेकर अमित शाह तक से उनकी मुलाकात हुई थी।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के छोटे भाई प्रतीक की पत्नी अपर्णा यादव ने 2022 विधानसभा चुनाव से पहले काफी जोरशोर से भाजपा ज्वाइन की थी। उस दौरान जेपी नड्डा, योगी आदित्यनाथ से लेकर अमित शाह तक से उनकी मुलाकात हुई थी।
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अपर्णा ने विधानसभा में भाजपा के लिए जमकर प्रचार किया लेकिन उनको खुद के लिए टिकट नहीं मिला। भाजपा की प्रचंड जीत के बाद उनके एमएलसी बनाए जाने की खूब चर्चा रही। MLC नहीं बनाए जाने पर उनके राज्यसभा भेजे जाने की भी सुगबुगाहट हुई। हालांकि अपर्णा के हिस्से लखनऊ के कार्यक्रमों में फीता काटने का ही काम रहा। अब देखना ये है कि लखनऊ मेयर सीट लड़ाकर भाजपा उनके चुनाव प्रचार के दौरान किए अहसान का बदला चुकाती है या अपर्णा का पार्टी में हाशिए पर रहना जारी रहता है।