स्वामी प्रसाद मौर्य के राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी का औपचारिक गठन 2013 में ही हो गया था। तब इस पार्टी का औपचारिक गठन साहेब सिंह धनगर ने अलीगढ़ में किया था। लेकिन दलित (Dalit) और ओबीसी(OBC) नेताओं के नेतृत्व वाली यह पार्टी चुनावी राजनीति में अपनी छाप नहीं छोड़ सकी। फिलहाल स्वामी प्रसाद मौर्य के कमान संभालने से पार्टी संगठन में फिर से नई जान आने की उम्मीद है। इसके साथ ही आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में भी यह पार्टी सपा और अखिलेश यादव के लिए भी चुनौती पैदा कर सकती है।
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स्वामी प्रसाद मौर्य ने 13 फरवरी को समाजवादी पार्टी के महासचिव का पद छोड़ दिया था। इसके साथ ही उन्होंने पार्टी हाईकमान पर भेदभाव का आरोप लगाया था। स्वामी प्रसाद मौर्य 20 सालों तक बसपा में बड़े पदों पर रहे। मायावती सरकार में कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। साल 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने पाला बदल लिया था और भाजपा में शामिल हो गए थे। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार बनी तो स्वामी प्रसाद मौर्य को कैबिनेट भी मंत्री बनाया गया। लेकिन 5 साल बाद ही बीजेपी से उनका मोहभंग हो गया। 2022 के विधानसबा चुनाव से पहले अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए।
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समाजवादी पार्टी ने स्वामी प्रसाद मौर्य को 2022 के विधानसभा चुनाव में कुशीनगर जिले की फाजिलनगर विधानसभा सीट से टिकट दिया था। लेकिन वे 26 हजार वोटों से भाजपा उम्मीदवार से चुनाव हार गए थे। इसके बाद सपा ने स्वामी प्रसाद मौर्य को एमएलसी (MLC) बनाया। इसके साथ ही उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी भी दी थी। दो साल बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा का साथ भी छोड़ दिया। और अपनी नई पार्टी बना ली। स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य बदायूं से बीजेपी सांसद हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने जब समाजवादी पार्टी छोड़ने का ऐलान किया था तो उसकी वजह भी बताया था। स्वामी प्रसाद मौर्य का कहना था कि समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव समाजवादी विचारधारा के खिलाफ जा रहे हैं। उन्होंने एक्स सोशल साइट पर अखिलेश यादव को संबोधित करते हुए अपना इस्तीफा पत्र भी पोस्ट किया था। स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा सपा छोड़ने का उनका कारण अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी के साथ वैचारिक मतभेद है। उन्होंने कहा मैं स्वच्छ राजनीति में विश्वास करता हूं। मैंने देखा कि अखिलेश समाजवादी विचारधारा के खिलाफ जा रहे थे। मेरे पास मुलायम सिंह यादव के साथ काम करने का अनुभव भी है। मुलायम सिंह यादव एक कट्टर समाजवादी नेता थे। ये लोग उनकी विरासत को आगे नहीं बढ़ा पा रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
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स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे पर अखिलेश यादव पत्नी और मैनपुरी की सांसद डिंपल यादव ने प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा कि स्वामी प्रसाद जी चुनाव के दौरान पार्टी में शामिल हुए। चुनाव हारने के बावजूद पार्टी ने उन्हें एमएलसी बनाया और विधानसभा में भेजा। डिंपल यादव ने आगे कहा कि हम स्वामी प्रसाद मौर्य का पूरा सम्मान करते हैं।