लखनऊ. जामा मस्जिद, नई दिल्ली के शाही इमाम मौलाना सैयद अहमद बुखारी ने उत्तर प्रदेश के मुसलमानों से सपा की जगह दूसरे दल को चुनने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि समाजवादी पार्टी परिवार के झगड़े में मस्त है। जिससे प्रदेश के मुस्लिम समाज का नुकसान हो रहा है। इसलिए मुसलमान आने वाले विधानसभा चुनाव 2017 ने दूसरे दल को चुनें। 2012 में समाजवादी पार्टी का मूलरूप से समर्थन करने वाले इमाम बुखारी मे सपा को धोखेबाज करार दिया है। बयान के संबंध में जब सूबे की सियासत में दखल रखने वाले अन्य मुस्लिम नेताओं से पत्रिका डॉट कॉम ने बात की तो सबकी अलग-अलग राय सामने आई। लेकिन सभी मुस्लिम नेताओं ने इमाम बुखारी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इमाम साहब को अपनी नसीहत अपने पास रखनी चाहिए। पेश है रिपोर्ट- धर्म गुरु न करें सियासत लखनऊ में ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता यासूफ़ अब्बास ने कहा कि धर्म गुरु अलग हैं और सियासत अलग। धर्मगुरुओं को सियासत के बजाय समाज की बेहतरी का काम करना चाहिए। जो धार्मिक लोगों का काम है। धर्मगुरुओं को सियासत के लफड़े में नहीं पडऩा चाहिए क्योंकि ये इनका काम नहीं है। उन्होंने कहा हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला दिया कि चुनाव में धर्म और जाति की दखलंदाजी नहीं होनी चाहिए। इसलिए अहमद बुखारी को अपनी राय देने से बचना चाहिए। बेहतर होगा वे जाति व धर्म के खेमे में जनता का न बांटें। वैसे भी प्रदेश का मुसलमान अपनी बेहतरी किस पार्टी में है, ये खुद समझने के काबिल है। यूपी के मुस्लिम नहीं रखते इत्तेफाक बुखारी के बयान पर शिया धर्मगुरु कल्बे जव्वाद ने कहा कि इमाम बुखारी साहब के बयान से उत्तर प्रदेश का मुसलमान इत्तेफाक नहीं रखते। समय-समय पर उनका बयान बदलता रहता है। आज वह सपा का विरोध कर रहे हैं, हो सकता है कल समर्थन करने लगें। इसलिए उनके बयान को मुसलमान कभी गम्भीरता से नहीं लेता हैं। वैसे भी उत्तर प्रदेश का मुस्लिम बहुत समझदार है वह अपना वोट देने में खुद सक्षम है। धर्मगुरु ने किया असंवैधानिक कार्य, हो कार्रवाई ऑल इंडिया मुस्लिम लॉ पर्सनल बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अम्बर ने कहा है कि प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का हो। वह यह समझने में सक्षम है कि किस दल को वोट दें, किसको नहीं। इसके लिए उसको किसी धर्म गुरु के अपील की आवश्यकता नहीं है। वह शिक्षा, विकास, रोजगार की मूल जरूरतों को समझकर किसी राजनीतिक पार्टी को वोट देता है। तमाम धर्मगुरुओं की ओर से इस तरह की अपील करके खुद असंवैधानिक काम किया जा रहा है। इन पर कार्रवाई होनी चाहिए। बदलती रही है निष्ठा गौरतलब है बीते अक्टूबर माह में इमाम बुखारी ने लखनऊ जाकर समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव व प्रदेश के सीएम और शिवपाल यादव से अलग-अलग मुलाकात की थी और परिवार में चल रहे आपसी मदभेद को दूर करने की सलाह दी थी। क्या आरोप हैं बुखारी के -सपा धोखेबाज पार्टी है। मुलायम सिंह यादव के साथ रहना खतरे से खाली नही है। -जब से भाजपा की सरकार बनी है तब से ही सपा भाजपा को रिझाने में लगी हुई है और मुस्लिम वोटर्स को मीठी बातों में फंसाने की कोशिश कर रही है। -समाजवादी पार्टी ने अपने सभी वादों को पूरा करने में विफल रही है। -मुस्लिमों को18 फीसदी आरक्षण दिलाने जैसे कई वादे सपा ने किए लेकिन मुसलमानों का समर्थन पाने के बाद उन्होंने एक उनपर एक नजर डालना भी जरूरी नहीं समझा। -सपा की सरकार बनने के एक साल के भीतर ही 113 सांप्रदायिक घटनाएं हुई और 13 जगहों पर कफ्र्यू तक लगा। -मुस्लिमों को राज्य के प्रशासनिक पदों पर पर्याप्त हिस्सेदारी भी नहीं मिल सकी जिसने मुस्लिमों के हालात को और भी खराब बना दिया।