शराब की दुकानें खोलने की मांग शराब विक्रेता वेलफेयर एसोसिएशन के महामंत्री कन्हैया लाल मौर्या का कहना है कि उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के पहले से करोना महामारी के चलते घोषित कर्फ्यू की वजह से शराब की दुकानें बंद है। जबकि शराब की दुकानें बंद करने का शासन द्वारा शासनादेश में कोई उल्लेख नहीं किया गया है और न ही आबकारी विभाग के अधिकारियों द्वारा ही लाइसेंस धारकों को दुकान बंद करने का कोई आदेश दिया गया है। इससे शराब लाइसेंस धारकों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। पूरे प्रदेश के शराब कारोबारी अपनी शराब की दुकानें खोलने की मांग प्रदेश सरकार से कर रहे हैं।
पांचवीं बार बढ़ा कोरोना कर्फ्यू वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते हालांकि संपूर्ण लॉकडाउन का फैसला अभी सरकार ने नहीं किया है, लेकिन संक्रमण की चैन को तोड़ने के लिए सरकार धीरे-धीरे कदम उसी दिशा में बढ़ा रही है। पंचायत चुनाव के बाद गांवों में तेजी से फैल रहे संक्रमण और 14 मई को ईद के त्योहार को देखते हुए यूपी की योगी सरकार ने फिलहाल कोई भी खतरा मोल न लेते हुए लॉकडाउन को एक हफ्ते के लिए फिर बढ़ाने का फैसला लिया है। 29 अप्रैल को शनिवार-रविवार की साप्ताहिक बंदी से इसकी शुरुआत हुई। फिर इसे चार मई, छह मई और दस मई यानी सोमवार तक बढ़ाया गया। अब योगी सरकार ने फिर से कोरोना कर्फ्यू 17 मई सुबह सात बजे तक बढ़ा दिया है। प्रदेश में पांचवीं बार कोरोना कर्फ्यू को विस्तार दिया गया है।
10-40 रुपये महंगी हो गई शराब, लगा कोविड सेस उत्तर प्रदेश में शराब महंगी भी हो गई है। योगी सरकार ने आबकारी नीति 2021-22 में संशोधन करते हुए शराब पर कोविड सेस लगाने का फैसला किया है। ये सेस प्रदेश में लागू भी हो गया है। यूपी सरकार ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर से लड़ाई के लिए राजस्व बढ़ाने के मकसद से ये सेस लगाया है। कोविड सेस लगने के बाद शराब की कीमतें 10-40 रुपये तक बढ़ गई हैं। आबकारी नीति 2021-22 में संशोधन करते हुए शासन ने रेगुलर कैटेगरी की शराब पर 10 रुपये प्रति 90 एमएल पर विशेष अतिरिक्त प्रतिफल शुल्क लगाया है। इसी तरह प्रीमियम कैटेगरी की शराब पर भी प्रति 90 एमएल पर 10 रुपये, सुपर प्रीमियर पर प्रति 90 एमएल पर 20 रुपये, स्कॉच पर प्रति 90 एमएल पर 30 रुपये और इंपोर्टेड शराब पर भी प्रति 90 एमएल 40 रुपये अतिरिक्त प्रतिफल शुल्क लगाया गया है। आपको बता दें कि 1 अप्रैल को लागू नई आबकारी नीति के बाद भी यूपी में अंग्रेजी शराब 15 से 20 परसेंट तक महंगी हुई थी। जबकि बीयर की कीमतों में 10 से 20 रुपये की कमी आई थी। यानी सिर्फ दो महीनों में ही शराब की कीमतों में जबरदस्त इजाफा हो चुका है।